Tuesday, 25th December, 2018 -- A CHRISTIAN FORT PRESENTATION

Jesus Cross

सुप्रसिद्ध मसीही चिंतक थे पाण्डीपेड्डी चेन्चियाह



 




 


मसीही विचारधारा को विशुद्ध भारतीय बनाया चेन्चियाह ने

श्री पाण्डीपेड्डी चेन्चियाह (1886-1959) भी एक प्रसिद्ध मसीही प्रचारक, एक ज्युरिस्ट के साथ बड़े चिंतक भी थे। उन्होंने अपनी कई पुस्तकों व निबंधों द्वारा स्थानीय मसीही समुदायों को गोरे अंग्रेज़ मसीही प्रचारकों की विचारधारक सीमाओं से बाहर निकाल कर उन्हें पूर्णतया व विशुद्ध भारतीय बनाने का महान् कार्य किया था। उन्होंने अपने इसी उद्देश्य की पूर्ति हेतु ‘रीथिंकिंग क्रिस्चियनिटी इन इण्डिया’ नामक एक समूह की भी स्थापना की थी। वास्तव में वह हैण्डिरिक क्रैमर द्वारा लिखी प्रसिद्ध पुस्तक ‘दि क्रिस्चियन मैसेज इन ए नॉन-क्रिस्चियन वर्ल्ड’ (ग़ैर-मसीही विश्व में मसीही संदेश) का सही उत्तर देना चाहते थे। उनमें मसीहियत को संसार के कोने-कोने में फैलाने का उत्साह बहुत अधिक था। अपनी इस बात के लिए वह प्रसिद्ध भी थे।


First Tamil Bible चित्र विवरणः यह चित्र 1715 में प्रकाशित हुई तामिल भाषा की बाईबल के प्रथम पृष्ठ का है। दक्षिण भारत में मछुआरों व समुद्री व्यापारियों को प्रायः ‘पारावार समुदाय’ के नाम से जाना जाता था। समस्त पारावार समुदाय ने 16वीं शताब्दी में यीशु मसीह को ग्रहण कर लिया था। वे आध्यात्मिक अर्थात रुहानियत तथा साहित्य लेखन में इतने आगे निकल गए थे कि उन्होंने भारत की प्रथम पुस्तक तामिल भाषा में प्रकाशित की थी। तामिल भाषा में बाईबल पहली बार 1554 में प्रकाशित हुई थी और उसी से मुद्रित अर्थात प्रकाशित रूप में सामने आने वाली ‘तामिल’ भारत की पहली भाषा बन गई। वैसे भारत में पहली प्रिन्टिंग प्रैस 1556 में गोवा में आई थी परन्तु पारावार समुदाय ने अपनी ‘कार्डिला’ नामक तामिल बाईबल पुर्तगाल की राजधानी लिस्बन से प्रकाशित करवाई थी। पुर्तगााल सरकार ने स्वयं यह कार्य निष्पन्न करवाया था क्योंकि पारावार समुदाय के तीन मसीही विन्सैंट नासरत, जोज कावलको तथा थॉमस क्रूज़ भारत के टूटीकौर्न नगर (अब तामिल नाडू राज्य में है) से पहले कई बार पुर्तगाल जाकर आए थे। भारतीय भाषा में प्रकाशित होने वाली इस प्रथम बाईबल का सारा ख़र्चा टूटीकौर्न नगर के पारावार समुदाय ने दिया था।


कई प्रमुख पदों पर कार्यरत रहे

श्री पाण्डीपेड्डी चेन्चियाह के निबंध प्रायः विश्व-स्तरीय समाचार-पत्रों ‘दि गार्डियन’ एवं ‘दि पिलग्रिम’ में प्रकाशित हुआ करते थे। वह 1949 से लेकर 1952 तक ‘दि पिलग्रिम’ के संपादक भी रहे थे। वह 1916 से लेकर 1924 तक भारतीय मसीही समुदाय के मुख-पत्र ‘क्रिस्चियन पैट्रियॉट’ की संपादकीय समिति के सदस्य भी रहे थे। ‘यंग मैन्ज़ क्रिस्चियन ऐसोसिएशन’ (वाई.एम.सी.ए.), मद्राास के बोर्ड ऑफ़ डायरैक्टरज़ के सदस्य भी रहे। नैश्नल मिशनरी सोसायटी की कार्यकारिणी समिति के भी वह सदस्य रहे। उन्होंने अपने जीजा श्री वैंगल चक्काराई के साथ मिल कर मद्रास क्रिस्टो समाज की स्थापना की थी। भारत के मसीही लोगों की विभिन्न समस्याओं पर विचार करने वाली बंगलौर कन्टीन्युएशन कान्फ्ऱेंस के साथ भी वह सक्रियता से जुड़े रहे। 1928 में येरूशलेम में हुई अंतर्राष्ट्रीय मिशनरी कान्फ्ऱेंस के दौरान उन्होंने दक्षिण भारतीय युनियन चर्च का प्रतिनिधित्व किया था। 1938 में दक्षिण मद्रास के क्षेत्र ताम्बरम में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय मिशनरी कान्फ्ऱेंस में उन्हें ‘जज’ अर्थात न्यायधीश के तौर पर सूचीबद्ध किया गया था। श्री चेन्चियाह 1935 में न्यायधीश बने थे। सेवा निवृत्ति के उपरान्त वह एक बार फिर मद्रास उच्च न्यायालय (हाई कोर्ट) हेतु कार्यरत हो गए थे तथा फिर मद्रास एवं आंध्र प्रदेश के कुछ विश्वविद्यालयों हेतु चीफ़ एग्ज़ामिनर भी नियुक्त रहे थे।


विलियम मिलर ने सिखलाया मसीही धर्म को भारतीय संदर्भ में देखना व समझना

श्री विलियम मिलर ने उन्हें मसीही धर्म को भारतीय संदर्भ से देखना व समझना सिखलाया था। उन्हीं से प्रेरित हो कर उन्होंने ‘मद्रास रीथिंकिंग ग्रुप’ की स्थापना की थी। उन्होंने अनेक पुस्तकें तामिल साहित्य के लिए भी लिखीं परन्तु उनका अधिक योगदान मसीही साहित्य में ही रहा।

श्री पाण्डीपेड्डी चेन्चिियाह का जन्म 1886 में आंध्र प्रदेश के नैल्लोर में हुआ था। वह अपने 11 अन्य भाई-बहनों में से सब से बड़े थे। जब वह 15 वर्ष के थे, तब वह सपरिवार मसीही हो गए थे तथा उन्हें स्कॉटलैण्ड के मसीही मिशनरी विलियम मिल्लर ने बप्तिस्मा दिया था। उनका विवाह मैटिल्डा राघविया के साथ हुआ था तथा उनके एक पुत्र व 4 पुत्रियां हुईं।


दर्शन शास्त्र में सुविज्ञता के कारण स्वर्ण पदक भी जीता

श्री चेन्चियाह ने मद्रास क्रिस्चियन कॉलेज से उच्च शिक्षा ग्रहण की और तब स्कॉटिश मसीही प्रचारक विलियम मिल्लर ही कॉलेज के प्रिंसीपल (प्रधानाचार्य) हुआ करते थे। 1906 में उन्होंने फ़िलॉसफ़ी (दर्शन शास्त्र) विषय में स्नातक उतीर्ण की थी। उन्हें दर्शन शास्त्र में सुविज्ञता के कारण स्वर्ण पदक भी प्राप्त हुआ था। फिर 1908 में उन्होंने वकालत (बीएल) पास की व 1913 में मद्रास लॉअ कॉलेज से उन्होंने वकालत की पोस्ट-ग्रैजुएशन (एमएल) की।


कभी सरकारी दबाव में नहीं आए

फिर मद्रास हाई कोर्ट में उन्होंने एक वकील की हैसियत से प्रैक्टिस प्रारंभ की व कई विभिन्न सरकारी कार्यालयों में नौकरी की। सन् 1928 में वह मद्रास प्रैज़ीडैंसी (अब तामिल नाडू) के पुडुकोट्टाह ज़िले के न्यायधीश भी नियुक्त हुए। उन्होंने सरकारी दबाव के चलते कभी अपना कोई निर्णय नहीं दिया। वह बाद में मद्रास व आंध्र विश्वविद्यालयों में वकालत की परीक्षाओं के चीफ़ एग्ज़ामीनर भी रहे।


चेन्चियाह व दि रीथिंकिंग ग्रुप’

श्री चेन्चियाह पश्चिमी मसीही मिशनरियों द्वारा किए जाने वाले प्रचार से पूर्णतया संतुष्ट नहीं थे क्योंकि वह तो ऑरोबिन्दो घोष, टैलिहार्ड डी कार्डिन एवं मास्टर सी.वी.वी. की कृतियों से अधिक प्रभावित थे। वह अधिकतर बाईबल के नए नियम के आधार पर ही प्रचार किया करते थे। उनके साथ वैंगल चक्काराई के अतिरिक्त, एस.के. जॉर्ज, पी.ए. थंगासामी व अन्य मसीही नेता सक्रिय थे तथा इसी समूह को बाद में ‘दि रीथिंकिंग ग्रुप’ के तौर पर जाना जाने लगा था। वैसे कुछ मसीही चिन्तक व आलोचक उनकी यह कह कर आलोचना भी करते हैं कि वह यीशु मसीह की तुलना श्री कृष्ण व श्री रामचन्द्र जी के साथ करते थे। परन्तु वह वास्तव में वह ऐसी तुलना नहीं किया करते थे, अपितु वह तो उन सभी के विचारों में कोई न कोई सम्बन्ध ढूंढा करते थे, ताकि भारत के लोग यीशु मसीह को ‘पराया’ या ‘विदेशी’ न मानें, बल्कि उन्हें अपना मान कर सदा के लिए अपना लें। उन्होंने योगा को मसीही धर्म के साथ जोड़ कर भी पुस्तक ‘क्रिस्चियन्ज़ एण्ड योगाः ए स्टडी ऑफ़ दि टैक्नीक ऑफ़ रीयलाइज़ेशन इन रिलेशन टू दि एम्ज़ एण्ड ऑब्जैक्ट्स ऑफ़ क्रिस्चियनिटी’ लिखी थी।

19 अप्रैल, 1959 को श्री चेन्चियाह का थोड़ी बीमारी के बाद निधन हो गया था।

Mehtab-Ud-Din


-- -- मेहताब-उद-दीन

-- [MEHTAB-UD-DIN]



भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन में मसीही समुदाय का योगदान की श्रृंख्ला पर वापिस जाने हेतु यहां क्लिक करें
-- [TO KNOW MORE ABOUT - THE ROLE OF CHRISTIANS IN THE FREEDOM OF INDIA -, CLICK HERE]

 
visitor counter
Role of Christians in Indian Freedom Movement


DESIGNED BY: FREE CSS TEMPLATES