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भारत में योग्य मान्यता मिलनी चाहिए टॉम ऑल्टर व उनके परिवार को



 




 


विशुद्ध हिन्दी व उर्दू बोलने वाले अमेरिकन मूल के बॉलीवुड कलाकार थे टॉम आल्टर

बॉलीवुड के प्रसिद्ध कलाकार टॉम ऑल्टर को कौन नहीं जानता। वह अमेरिकन मूल के थे, जिसके कारण उनकी त्वचा गोरी थी और भारत में लोग उन्हें इतनी अच्छी हिन्दी व उर्दू बोलते देख कर बहुत आश्चर्यचकित होते थे। अब यही बात उनके कलाकार व पत्रकार सुपुत्र जेमी ऑल्टर के साथ भी हो रही है क्योंकि अधिकतर लोगों को गोरी त्वचा व हिन्दी का तालमेल पहली नज़र में हज़्म नहीं हो पाता। ख़ैर भारत विभिन्नताओं से भरपूर देश है और यहां पर हर प्रकार के लोग रहते हैं - इस लिए सब चलता है।

टॉम आल्टर का बॉलीवुड की हिन्दी फ़िल्मों में अपना एक विलक्ष्ण मुकाम रहा है। उनका वास्तविक नाम थॉमस बीच ऑल्टर था। उनका जन्म 22 जून, 1950 ई. को वर्तमान उत्तराखण्ड के नगर मसूरी (जिसे पहाड़ों की मलिका भी कहा जाता है) और उनका निधन त्वचा के कैंसर जैसी नामुराद बीमारी के कारण 29 सितम्बर, 2017 को हो गया था।


अमेरिका से भारत आए थे टॉम आल्टर के दादा

टॉम आल्टर के पिता जेमस ऑल्टर थे, जो वास्तव में अमेरिकन प्रैसबाइटिरियन मसीही मिशनरी थे। वैसे टॉम ऑल्टर के दादा पहली बार मसीही मिशनरी के तौर पर भारत आए थे। टॉम ऑल्टर के पिता का जन्म भी भारत में ही हुआ था और टॉम ऑल्टर के सुपुत्र जेमी ऑल्टर का जन्म गुजरात के नाडियाड में हुआ था। यही कारण है कि वे सभी भारतीय भाषाएं हिन्दी व उदू बाख़ूबी बोलते रहे हैं - इसमें हैरानी वाली कोई बात नहीं है।


आल्टर परिवार - तथाकथित राष्ट्रवादियों के लिए मिसाल

परन्तु यहां पर वास्तव में उन मुट्ठी भर तथाकथित (सो-काल्ड) राष्ट्रवादियों के लिए सबक व बड़ी मिसाल भी है। हम सभी जानते हैं कि असंख्य भारतीय लोग इस समय कैनेडा व अमेरिका में जा कर बसने के बारे में सोचते हैं परन्तु इसके पूर्णतया विपरीत टॉम ऑल्टर व जेमी ऑल्टर जैसे लोगों ने भारत को अपनी कर्म-भूमि बनाने का दृढ़ निश्चय किया। वे चाहते तो किसी भी समय जा कर अमेरिका में जा कर आसानी से सैटल हो सकते थे। अतः ऑल्टर परिवार एक सदी से भी अधिक समय से भारत में रह रहा है और अब वह विशुद्ध भारतीय है। टॉम आल्टर के बेटे जेमी ऑल्टर ने एक प्रसिद्ध टीवी पत्रकार मेहा भारद्वाज से शादी की है। उनका एक बेटा भी है।

क्या ऑल्टर परिवार के इस योगदान को भारत में मान्यता नहीं मिलनी चाहिए? स्पष्टतया टॉम ऑल्टर का भारतीय हिन्दी सिनेमा व पत्रकारिता के क्षेत्र में वर्णनीय योगदान रहा है। क्या आपको ज्ञात है कि सचिन तेंदुलकर जब स्कुल में ही पढ़ते थे व मुश्किल से 14-15 वर्ष के थे, तभी टॉम ऑल्टर ने उनकी बढ़िया क्रिकेट को देख कर ही उनका टीवी इन्टरव्यु लिया था, जो सचिन तेंदुलकर के जीवन का भी पहला साक्षात्कार है। तब टॉम ऑल्टर मुंबई के प्रसिद्ध मीडिया हाऊस मिड-डे के लिए कार्यरत थे। टॉम ऑल्टर ने ‘दि टॉइम्स ऑफ़ इण्डिया’ के लिए भी खेल-पत्रकार के तौर पर काम किया। उनके सुपुत्र भी स्पोर्टस जनर्लिस्ट हैं तथा क्रिक-इन्फ़ो .(सौजन्य - ईएसपीएन) में कार्यरत हैं तथा कुछ नाटकों व एकाध फिल्म में भी काम कर चुके हैं। वैसे वह आज-कल अपने यू-ट्यूब चैनल पर अधिक सक्रिय रहते हैं।


1947 में भारत के साथ टॉम आल्टर के परिवार का भी हो गया था विभाजन

टॉम आल्टर के दादा-दादी अमेरिका के राज्य ओहाईयो से नवम्बर 1916 में भारतीय राज्य तामिल नाडू की राजधानी मद्रास (अब चेन्नई) पहुंचे थे। फिर कुछ समय बाद वे पंजाब के प्रमुख नगर लाहौर (जो अब पाकिस्तान में है) आ गए थे। सन् 1947 में केवल भारत का ही बंटवारा नहीं हुआ था, अन्य लाखों लोगों की तरह टॉम ऑल्टर के परिवार का भी विभाजन हो गया था - क्योंकि उनके दादा-दादी ने पाकिस्तान में ही रहने का निर्णय लिया था परन्तु टॉम के माता-पिता भारत आ कर बस गए थे। पहले वह अलाहाबाद, फिर जबलपुर व सहारनपुर में रहे। अंततः वह देहरादून व मसूरी के मध्य में स्थित राजपुर नगर में सैटल हो गए थे। टॉम आल्टर की बहन मार्था चेन हार्वर्ड युनिवर्सिटी में पढ़ाती हैं तथा उनके भाई जौन ऑल्टर एक शायर हैं।

टॉम ऑल्टर की पत्नी का नाम कैरोल इवान्स है, जो भारत में ही रहती हैं। वह भी टॉम के साथ मसूरी के साथ स्कूल में पढ़ती रही थीं। दोनों का विवाह 1977 में हुआ था। उनका एक पुत्र जेमी ऑल्टर तथा पुत्री अफ़शां हैं।


मसूरी में ही पले-बढ़े थे टॉम आल्टर

टॉम ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मसूरी के वुडस्टॉक स्कूल से प्राप्त की और फिर उच्च-शिक्षा हेतु येल युनिवर्सिटी में पढ़ने के लिए अमेरिका चले गए थे। पढ़ाई संपन्न होने के पश्चात् वह भारत लौट आए थे क्योंकि उन्हें तो भारत ही अधिक अच्छा लगता था। (टॉम के बेटे जेमी का भी यही कहना है - उन्होंने भी अपनी मैट्रिक तक की पढ़ाई मसूरी में की थी तथा ग्रैजुएशन अमेरिका में)। छः माह तक हरियाणा के नगर जगाधरी स्थित सेंट थॉमस स्कूल तथा मसूरी के वुडस्टॉक स्कूल में अध्यापक के तौर पर पढ़ाया भी है।


राजेश खन्ना के ज़बरदस्त फ़ैन थे टॉम आल्टर

1969 में जब राजेश खन्ना व शर्मीला टैगोर अभीनीत फ़िल्म ‘आराधना’ रिलीज़ हुई, तो वह इन दोनों फ़िल्म कलाकारों के ज़बरदस्त फ़ैन बन गए और मन में एक्टर बनने के लिए बम्बई (अब मुंबई) जाने की ठान ली। उन्होंने पुणे (तब उसका नाम पूना था) के फ़िल्म व टैलीविज़न इन्सटीचयूट में दाख़िला ले लिया। वहां पर उनके सहपाठी मिथुन चक्रवर्ती थे।

स्वर्गीय टॉम ऑल्टर के सुपुत्र व स्पोर्टस जनर्लिस्ट जेमी ऑल्टर अपनी पत्नी व प्रसिद्ध पत्रकार मेहा भारद्वाज के साथ

देव आनन्द की फ़िल्म ‘साहिब बहादुर’ (1977) टॉम आल्टर की पहली फ़िल्म थी परन्तु उससे पहले रामानन्द सागर द्वारा निर्देशित धर्मेंन्द्र व हेमा मालिनी अभीनीत फ़िल्म ‘चरस’ पहले रिलीज़ हो गई थी। फिर उसके बाद तो - राम भरोसे, हम किसी से कम नहीं व परवरिश जैसी फ़िल्मों की पूरी कतार ही लग गई थी। फ़िल्म ‘अमर अकबर ऐन्थोनी’ में अदाकार जीवन के लिए आवाज़ टॉम आल्टर ने ही डब की थी। मनोज कुमार की फ़िल्म ‘क्रान्ति’ में टॉम के किरदार को बहुत सराहा गया था। उन्होंने सत्यजीत रेअ जैसे फ़िल्मसाज़ के साथ ‘शतरंज के खिलाड़ी’ में काम किया। ऋषिकेश मुखर्जी की फ़िल्म ‘नौकरी’ तथा बाद में ‘कुदरत’ में टॉम को अपने मनपसन्द अदाकार राजेश खन्ना के साथ काम करने का सुअवसर प्राप्त हुआ था। टॉम आल्टर ने भारत की कुछ अंग्रेज़ी फ़िल्मों में भी काम किया।

विधु विनोद चोपड़ा की फ़िल्म ‘परिन्दा’, महेश भट्ट की सुपर हिट फ़िल्म ‘आशिकी’ तथा केतन मेहता की फ़िल्म ‘सरदार’ में टॉम ऑल्टर की भूमिकाएं अत्यंत वणर्नीय हैं। ‘संविधान’ व ‘ज़बान संभाल के’ जैसे टीवी धारावाहिकों में भी टॉम ऑल्टर छाए रहे। मुकेश खन्ना के प्रसिद्ध टीवी धारावाहिक ‘शक्तिमान’ में वह लाल चोगे वाले गुरु बने थे। टीवी पर बहुत लम्बा समय चले एक अन्य धारावाहिक ‘जुनून’ में वह केश्व कल्सी के रोल में छा गए थे - वह किरदार आज भी लोगों को याद है। उन्होंने स्टेज पर भी बहुत से नाटकों में यादगारी अभिनय करके दर्शकों को अपने फ़न का लोहा मनवाया।


चार पुस्तकें भी लिखीं टॉम ऑल्टर ने

टॉम आल्टर ने चार पुस्तकें ‘दि लौंगैस्ट रेस’, ‘रिटर्न एट रियाल्टो’, ‘रीरन एट रियाल्टो’ तथा ‘दि बैस्ट इन दि वर्ल्ड’ भी लिखी हैं। वह अनेक पत्रिकाओं व समाचार-पत्रों जैसे फ़र्स्ट पोस्ट, डेबोनायर, सिटीज़न, स्पोर्टसवीक, आऊटलुक, क्रिकेट टॉक, सण्डे ऑब्ज़र्वर, के लिए निबन्ध भी लिखते रहते थे। इसके अतिरिक्त वह फ़िल्म इन्डस्ट्री की क्रिकेट टीम एमसीसी के लिए भी खेलते थे। इसके अतिरिकत उन्होंने ईएसपीएन पर क्रिकेट मैचों की कमैन्ट्री भी की थी।

भारत सरकार ने टॉम ऑल्टर को पदमश्री पुरुस्कार से भी निवाज़ा था।


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