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अपने पिता की तरह भारत में ही मिशनरी बने थे पादरी हरबर्ट युडनी वीतब्रैख़्त स्टैन्टन



 




 


अधिकतर समय पंजाब में रहे थे पादरी हरबर्ट युडनी वीतब्रैख़्त स्टैन्टन

पादरी हरबर्ट युडनी वीतब्रैख़्त स्टैन्टन इंग्लैण्ड की राजधानी लण्डन में एक जर्मन मिशनरी के घर 24 जनवरी, 1851 को पैदा हुए मसीही मिशनरी थे, जो 1876 में भारत आए थे। उन्होंने अपना अधिकतर समय उस समय के केन्द्रीय पंजाब में व्यतीत किया था। उनके पिता जॉन जेम्स वीतब्रैख़्त भी पहले एक मिशनरी के तौर पर भारत में रह चुके थे और जब हरबर्ट युडनी का जन्म हुआ था, तब भी श्री जॉन जेम्स वीतब्रैख़्त भारत में ही थे। उन्हें अधिकतर पादरी हरबर्ट के नाम से ही जाना जाता है। उनकी पत्नी अपने नाम के पीछे स्टैन्टन लगाती थीं। शायद पादरी हरबर्ट ने अपनी पत्नी को प्रसन्न करने हेतु ही उनके पिछले नाम को अपने नाम के साथ जोड़ लिया था।


युनिवर्सिटी ऑफ़ ट्यूबिन्जन से पी-एच.डी. की डिग्री प्राप्त की पादरी हरबर्ट युडनी वीतब्रैख़्त स्टैन्टन ने

पादरी हरबर्ट ने 1873 में युनिवर्सिटी ऑफ़ ट्यूबिन्जन (जो जर्मनी के केन्द्रीय बेडन-वुर्टमबर्ग में स्थित है) से अपनी पी-एच.डी. की डिग्री प्राप्त की थी। फिर 25 वर्ष की आयु में वह चर्च मिशनरी सोसायटी से जुड़ गए। 1874 में वह डीकन बने और फिर चैस्टर के बिशप ने उन्हें संपूर्ण पादरी नियुक्त कर दिया। उन्हें लाहौर के सेंट जॉन’ज़ डिविनिटी कॉलेज के वाईस प्रिंसीीपल के तौर पर भारत भेजा गया था। उसके बाद वह 35 वर्षों तक पंजाब (तब भारत के टुकड़े नहीं हुए थे, लाहौर शहर का क्षेत्र 1947 में देश विभाजन के समय पाकिस्तान में चला गया था और उसके साथ पंजाब भी दो भागों ‘पूर्वी पंजाब’ (भारत का) तथा ‘पश्चिमी पंजाब’ (जो अब पाकिस्तान में है) में बंट गया था) में ही रहे।


लाहौर के कैनन जैसे प्रतिष्ठित पद पर भी पहुंचे

1879-1880 में पादरी हरबर्ट चर्च मिशनरी सोसायटी की पंजाब कोरसपौंडिंग कमेटी के कार्यकारी सचिव थे। आठ वर्षों के पश्चात् वह लाहौर के बिशप के निरीक्षक चैपलेन नियुक्त हुए। फिर वह लाहौर के कैनन जैसे प्रतिष्ठित पद पर भी पहुंचे। 1890 में जब पवित्र बाईबल के नए नियम का उर्दू अनुवाद नए सिरे से हो रहा था, तब वह उसके चीफ़ रीवाईज़र भी रहे थे।

1911 में पादरी हरबर्ट ने चर्च मिशनरी सोसायटी से त्याग-पत्र दे दिया था। तब वह सैन्ट्रल बोर्ड ऑफ़ स्ट्डी के सचिव पद पर भी रहे। दो वर्षों के बाद उन्होंने मिशनरी विद्यार्थियों के लिए एक पुस्तक सूची प्रकाशित की। वह कैन्डीडेट्स कमेटी के सदस्य भी रहे। 1915 में वह माईल्डमेअ इनस्टीच्यूशन्ज़ के निदेशक नियुक्त हुए। अगले वर्ष उन्हें इस्लाम पर लेम्स लौंग लैक्चरार नियुक्त किया गया। उनके बहुत से लेख ‘चर्च मिशनरी इन्टैलीजैन्सर’ नामक पत्रिका में प्रकाशित होते रहे थे।


विवाह के 8 वर्षों के पश्चात् ही हो गया था पत्नी का निधन

पादरी हरबर्ट ने 1876 में ऐलेन लुइस स्टैन्टन से विवाह रचाया था परन्तु शादी के 8 वर्षों के पश्चात् श्रीमति स्टैन्टन का निधन 18 जनवरी, 1884 को बरी सेंट एडमण्ड्स में हो गया था।

पादरी हरबर्ट ने रेमण्ड लल्ल व इस्लाम पर एक पुस्तक 1915 में प्रकाशित करवाई थी, जो बेहद चर्चित हुई थी। रेमण्ड ललल्ल (1232-1315) वास्तव में स्पेन में पैदा हुए एक ऐसे मसीही प्रचारक हुए हैं, जिन्होंने अफ्ऱीका के मुस्लिम देशों में प्रचार किया था। फिर पादरी हरबर्ट ने 1919 में पवित्र बाईबल के सुसमाचार एवं कुरआन शरीफ़ के उपदेशों पर एक पुस्तक लिखी थी। उनकी पुस्तकों व प्रकाशित लेखों की संख्या काफ़ी अधिक है।

30 मई, 1937 को पादरी हरबर्ट का निधन उत्तरी लन्दन के हाईबरी क्षेत्र में हो गया था।


Mehtab-Ud-Din


-- -- मेहताब-उद-दीन

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