तामिल नाडू के यह दो मसीही शामिल हुए थे 1885 में कांग्रेस के पहले सत्र में
पीटर पॉल पिल्लै तथा डॉ. सेन्जी पुल्नी ऐण्डी को देख कर अन्य लोग भी हुए थे प्रेरित
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में मसीही समुदाय का योगदान वर्णनीय रहा है। 1885 में इण्डियन नैश्नल कांग्रेस पार्टी की स्थापना इस संग्राम की एक वर्णनीय घटना थी। अधिकतर स्वतंत्रता आन्दोलन इसी पार्टी के झण्डे तले सफ़लतापूर्वक संपन्न हुए थे। महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल जैसे हज़ारों नेता इसी पार्टी से जुड़े रहे थे। इसी लिए 1947 में देश को स्वतंत्र करते समय अंग्रेज़ इसी धर्म-निरपेक्ष पार्टी को सरकार की बागडोर भी कांग्रेस के हाथ ही सौंप कर गए थे। अधिक चर्चित मसीही नेताओं की बात तो हम कई स्थानों पर कर चुके हैं, परन्तु आज हम ऐसे दो मसीही नेताओं की बात करेंगे, जिन्होंने इण्डियन नैश्नल कांग्रेस पार्टी के पहले सत्र में भाग लिया था और उन्हें देखकर अन्य मसीही लोग भी भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलनों में कूद पड़े थे।
पीटर पॉल पिल्लै
उनमें से एक थे पीटर पॉल पिल्लै; वह एक स्कूल अध्यापक थे। वैसे वह एक ज़िमींदार, राजनीतिज्ञ एवं समाज-सुधारक भी थे, जिन्होंने इण्डियन नैश्नल कांग्रेस के पहले सत्र में तामिल नाडू के नगर तिरुनेलवेली का प्रतिनिधित्व किया था। वह एक रोमन कैथोलिक परिवार से संबंधित थे। वह 1902 में बैरिस्टर-एट-लॉअ बने थे। उन्होंने 1885 में भारत की स्थिति तथा 1891 के वन कानून की जांच का नेतृत्व भी किया था।
डॉ. सेन्जी पुल्नी ऐण्डी
दूसरे मसीही डॉ. सेन्जी पुल्नी ऐण्डी (1831-सितम्बर 1909) थे, जो इण्डियन नैश्नल कांग्रेस पार्टी के प्रथम सत्र का भाग बने थे। उन्हें तामिल नाडू में आज भी एस. परानी ऐण्डी के नाम से याद किया जाता है। अफ़सोस यह है कि इन दोनों के चित्र आज आसानी से उपलब्ध नहीं हैं।
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