भारत में मसीही समुदाय पर हमले व पवित्र बाईबल के निर्देश
भारत के कुछ विशेष राज्यों में अधिक होते हैं मसीही लोगों पर हमले
मसीही समुदाय के विरुद्ध हिंसा की घटनाएं वैसे तो समस्त भारत में ही घटित होती रहती हैं, परन्तु ऐसे घृणित अपराध प्रायः गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, उड़ीसा, जम्मू-कश्मीर एवं राजधानी-क्षेत्र नई दिल्ली में अधिक हुए हैं। 23 जनवरी, 1999 को आस्ट्रेलियन मसीही मिशनरी ग्राहम स्टेन्ज़ एवं उसके दो अव्यस्क बच्चों की निर्मम हत्याएं की गईं थीं, वर्ष 2000 में आंध्र प्रदेश में चार चर्च बम धमाके से उड़ा दिए गए थे, चर्च के कब्रिस्तानों की बेअदबी की गई थी। महाराष्ट्र में एक चर्च की तोड़-फ़ोड़ की गई थी, सितम्बर 2008 में केरल के दो चर्चों को शरारती तत्त्वों ने क्षति पहुंचाई थी।
उड़ीसा में हुआ था मसीही क्लीसिया पर अत्याचार
Photo: The Christian Post
अगस्त-सितम्बर 2008 में उड़ीसा में विश्व हिन्दु परिषद के एक नेता लक्ष्मणनंद सरस्वती की हत्या के पश्चात् सोची-समझी साज़िश के अंतर्गत मसीही गांवों एवं बस्तियों पर हिंसक आक्रमण कर के सैंकड़े लोगों को बेदर्दी से मौत के घाट उतार दिया गया तथा मसीही लड़कियों के साथ बलात्कार किए गए; जबकि पुलिस उस मामले में प्रारंभ से यही कहती रही थी कि हिन्दु नेता की हत्या माओवादियों ने की है परन्तु इसके बावजूद 300 से अधिक चर्च जला दिए गए, 6 हज़ार से अधिक घर नष्ट कर दिए गए तथा एक लाख से अधिक लोग बेघर कर दिए गए तथा बहुत से मसीही लोगों को कई माह तक सरकारी शिविरों में आश्रय लेना पड़ा और पुलिस व नगर प्रशासन ने उनकी कोई सुनवाई भी ठीक से नहीं की।
मसीही समुदाय हेतु जम्मू-काश्मीर में भी ठीक नहीं हालात
उधर जम्मू-कश्मीर में लोगों के विरुद्ध बड़े चिंताजनक स्तर पर असहिष्णुता दिखाई जाने लगी है। वर्ष 2006 में कथित इस्लामिक कट्टरपंथियों ने एक नए मसीही मिशनरी बशीर टैंट्रे की हत्या कर दी गई थी। जनवरी 2012 में कश्मीर की एक शरियत अदालत ने वादी के मसीही स्कूलों के विरुद्ध एक फ़तवा भी जारी किया था तथा तीन पादरी साहिबान को कश्मीर छोड़ कर चले जाने के लिए कहा था। उन पादरी साहिबान पर आरोप लगाया गया था कि वे लोगों को ज़बरदस्ती मसीही बना रहे हैं। तब एक न्यायालय ने जम्मू-कश्मीर सरकार को भविष्य में ऐसी गतिविधियों पर कड़ी नज़र रखने तथा मसीही मिशनरी स्कूलों का प्रबन्ध अपने हाथों में लेने के निर्देश दिए थे। मसीही लोगों का सार्वजनिक तौर पर अपमान करना तो अब जम्मू-कश्मीर के जीवन का एक अंग ही बन चुका है।
राजधानी श्रीनगर में मुश्किल से 400 मसीही लोग होंगे परन्तु कुछ कट्टरपंथियों को वे कांटों की तरह चुभते रहते हैं। अप्रैल 2013 में ‘एक स्थानीय इमाम की अनुमति से एक मुस्लिम भीड़ ने पांच महिलाओं एवं दो बच्चों सहित सात ब्रिटिश मिशनरियों के एक समूह के घर तथा वाहनों पर पथराव किया था।’ वे शिवपुरा क्षेत्र में विगत चार वर्षों से रह रहे थे। भीड दावे यही कर रही थी कि मसीही लोग धर्म-परिवर्तन करवा रहे हैं। पांच फ़रवरी, 2013 को आठ अमेरिकनों तथा चार कोरियाई लोगों पर एक ‘इस्लामिक भीड़’ ने रात 10 बजे अचानक आक्रमण कर दिया था। तब आरोप यह लगाया गया कि एक फ़ेसबुक पृष्ठ के द्वारा लोगों को ज़बरदस्ती मसीही बनाया जा रहा है।
स्वेच्छा से ही बनते हैं लोग मसीही
अरे भई यदि किसी को हमारे उद्धारकर्ता यीशु मसीह की बातें मन को भाती हैं और वह स्वेच्छा से मसीही बनना चाहता है, तो उसे कौन रोक सकता है। भारतीय संविधान स्वेच्छा से धर्म-परिवर्तन की स्वीकृति देता है।
उधर मध्य प्रदेश के माण्डला ज़िले में सितम्बर 2014 के दौरान एक चर्च पर आक्रमण करके नष्ट कर दिया गया था तथा बाईबलों को जला दिया गया था। मार्च 2015 में जबलपुर में एक बाईबल कन्वैन्शन हो रही थी, तब उस पर भी हमला किया गया था। मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ के मसीही कबाईलियों पर तो हमलों का भय सदा ही बना रहता है। केरल में भी मसीही लोगों को अपमानित किए जाने की घटनाएं प्रायः होती ही रहती हैं। पंजाब में भी बहुत से स्थानों पर मसीही प्रार्थना सभाएं न होने देने की बहुत सी घटनाएं हुई हैं।
भारत में मसीही समुदाय पर अत्याचारों के मध्य पवित्र बाईबल के निर्देश
ऐसे समय में भारतीय मसीही समुदाय यदि विभिन्न मिशनों व संप्रदायों में बंटा रहेगा, तो उसे कोई नहीं बचा सकता। परन्तु यदि कहीं हम एकजुटता का प्रदर्शन कर पाएं, तो कोई भी हमारी ओर हमारे देश में आँख उठा कर नहीं देख सकता - क्योंकि बाईबल में लिखा है:
1. ‘‘हे भाईयो, मैं तुम से यीशु मसीह जो हमारा प्रभु है, उसके नाम के द्वारा बिनती करता हूं कि तु सब एक ही बात कहो; और तुम में फूट न हो परन्तु एक ही मन और एक ही मत होकर मिले रहो’’ (1 कुरिन्थियों 1ः10)।
2. ‘‘और उस ने कितनों को भविष्यद्वक्ता नियुक्त करके और कितनों को सुसमाचार सुनाने वाले नियुक्त करके और कितनों को रखवाले और उपदेशक नियुक्त करके दे दिया। जिससे पवित्र लोग सिद्ध हो जाएं और सेवा का काम किया जाए और मसीह की देह उन्नति पाए। जब तक कि हम सब के सब विश्वास और परमेश्वर के पुत्र की पहचान में एक न हो जाएं और एक सिद्ध मनुष्य न बन जाएं और मसीह के पूरे डील-डौल तक न बढ़ जाएं’’ (इफ़िसियों 4ः 11-13)।
3. ‘‘और मेल के बन्ध में आत्मा की एकता रखने का यत्न करो’’ (इफ़िसियों 4ः3)।
4. ‘‘और यदि किसी को किसी पर दोष देने का कोई कारण हो, तो एक-दूसरे की सह लो और एक-दूसरे के अपराध क्षमा करोः जैसे प्रभु ने तुम्हारे अपराध क्षमा किए, वैसे ही तुम भी करो। और इन सब के ऊपर प्रेम को जो सिद्धता का कटिबन्ध है, बान्ध लो। और मसीह की शांति जिसके लिए तुम एक देह हो कर बुलाए भी गए हो, तुम्हारे हृदय में राज्य करे और तुम धन्यवादी बने रहो’’ (कुलिस्सियों 3ः 13-15)।
5. ‘‘मैं उनमें और तू मुझ में कि वे सिद्ध होकर एक हो जाएं और जगत जाने कि तू ही ने मुझे भेजा और जैसा तू ने मुझ से प्रेम रखा, वैसा ही उनसे प्रेम रखा’’ (यूहन्ना 17ः23)।
6. ‘‘देखो, यह क्या ही भली और मनोहर बात है कि भाई लोग आपस में मिले रहें!’’ (भजन संहिता 133ः1)
7. ‘‘आपस में एक सा मन रखो; अभिमानी न हो; परन्तु दीनों के साथ संगति रखो; अपनी दृष्टि में बुद्धिमान न हो’’ (रोमियों 12ः16)।
8. ‘‘परन्तु तुम रब्बी न कहलाना; क्योंकि तुम्हारा एक ही गुरु (अर्थात यीशु मसीह) हैः और तुम सब भाई हो’’ (मत्ती 23ः8)।
9. ‘‘सो यदि मसीह में कुछ शांति और प्रेम से ढाढ़स और आत्मा की सहभागिता और कुछ करुणा और दया है। तो मेरा यह आनन्द पूरा करो कि एक मन रहो और एक ही प्रेम, एक ही चित्त और एक ही मनसा रखो’’ (फ़िलिप्पियों 2ः 1-2)।
10. ‘‘क्योंकि यदि हम उस की मृत्यु की समानता में उसके साथ जुट गए हैं, तो निश्चय उसके जी उठने की समानता में भी जुट जाएंगे’’ (रोमियों 6ः5)।
पवित्र बाईबल में और भी अनेकों स्थानों में परमेश्वर के लोगों को एक साथ मिल कर आपस में प्रेमपूर्वक रहने की बात कही गई है परन्तु क्या आज हम इनमें से एक भी बात पर पूर्ण उतरने के योग्य हैं? हम सब अपनी एक अलग मसीही मिशन व अलग चर्च बनाने की होड़ में रहते हैं कि कहीं मेरी सरदारी न चली जाए और प्रत्येक व्यक्ति 100-200 के गुट में रह कर प्रसन्न हो रहा है। ऐसी बातों से ही मसीही समुदाय की एकता में कमी आती है तथा केवल इसी लिए अन्य कुछ मुट्ठीभर कट्टरपंथी लोग हमें सदा के लिए समाप्त करने के षड़यंत्र रचते रहते हैं।
काश! एक दिन ऐसा आए कि हम भारत के समूह मसीही लोग एक ही झण्डे तले यीशु मसीह का नाम ले सकें, आमीन!!!
-- -- मेहताब-उद-दीन -- [MEHTAB-UD-DIN]
भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन में मसीही समुदाय का योगदान की श्रृंख्ला पर वापिस जाने हेतु यहां क्लिक करें -- [TO KNOW MORE ABOUT - THE ROLE OF CHRISTIANS IN THE FREEDOM OF INDIA -, CLICK HERE]