‘नूतन भारत का निर्माता है मसीही समुदाय’
भारतीय गांवों के विकास में मसीही समुदाय का बड़ा योगदान
भारत के गांवों के विकास में भी मसीही समुदाय का बड़ा योगदान रहा है। उसमें 1910 में सुसंस्थापित अलाहाबाद कृषि महा-विद्यालय (अलाहाबाद एग्रीकल्चरल कॉलेज) तथा तामिल नाडू के नगर सलेम के समीप 1960 के दश्क में बैथल कृषि फ़ैलोशिप का नाम सबसे पहले लिया जा सकता है। इन संस्थानों का उद्देश्य किसानों की सहायता करना तथा उनकी उत्पादकता में बढ़ोतरी करना था। श्री के.टी. पॉल को ऐसी चिंताएं बहुत अधिक रहती थीं तथा वह ‘ग्रामीण क्षेत्रों का पुनःनिर्माण’ करना चाहते थे।
इसी प्रकार बेसल मिशन, जिसने 1815 में मंगलौर से अपने कार्य प्रारंभ किए थे, ने 1860 में अपनी एक फ़ैक्ट्री उल्लाल पुल से 10 किलोमीटर दूर मौरगन के गेट के समीप नेत्रावती नदी के किनारे पर स्थापित की थी, जहां पर सस्ती टैरा-कौटा टाईलों व अन्य संबंधित उत्पादों का निर्माण होता था। इस मिशन व उसकी फ़ैक्ट्री का उद्देश्य गंावों में बसने वाले ग़रीब लोगों, विशेषतया किसानों के घरों का सुधार करना था। उस फ़ैक्ट्री में चाहे सभी धर्मों व जातियों के लोग कार्यरत रहते थे, परन्तु वे टाईलें सदा ‘मिशन टाईलों’ के नाम से प्रसिद्ध रहीं। इस मिशन ने अपना कार्य 2001 तक किया तथा फिर उस का संचालन उसी वर्ष स्थापित ‘कोआप्रेशन इवैन्जलिशर कर्चन एण्ड मिशन’ (के.ई.एम.) को हस्तांत्रित कर दिया गया था।
किसी प्राकृतिक व अन्य आपदाओं (भूचाल, बाढ़, सुनामी, तूफ़ान, सांप्रदायिक दंगे इत्यादि) के समय भी मसीही समुदाय द्वारा पहुचंाए जाने वाले राहत कार्य सदा वर्णनीय रहे हैं।
बिना प्रचार के चुपचाप सामाजिक कार्य करते रहते हैं मसीही संगठन
गांव बहरामपुर बेट, ज़िला रोपड़ (पंजाब) में निर्मित एक चर्च
यह प्रायः देखने में आया है कि कोई अमीर व्यक्ति या सरकारी/ग़ैर-सरकारी संगठन यदि ऐसी राहत कभी पीड़ित लोगों को भेजते भी हैं, तो पहले वे प्रैस को बुलाएंगे, मीडिया में उसका ख़ूब प्रचार करेंगे कि भई हमने ये राहत पहुंचाई है, उनकी विडियो सोशल-मीडिया पर शेयर करेंगे या यू-ट्यूब पर अपलोड करेंगे। परन्तु मसीही संगठन अपने ऐसे सामाजिक कल्याणकारी कार्यों का कभी बखान नहीं करते, वे चुपचाप अपनी राहत वहां पर भेज देते हैं। साथ के किसी अन्य संगठन को भी ज्ञात नहीं होता कि उसने आज किसे अपनी राहत सामग्री भेजी है; क्योंकि पवित्र बाईबल हमें दान सदा गुप्त तरीके से करने के लिए ही सिखलाती है। विगत अनेक वर्षों से चर्चेस ऑग्ज़िलरी फ़ॉर सोशल एक्शन, दि इवैन्जलीकल फ़ैलोशिप ऑफ़ इण्डिया कमिशन ऑन रिलीफ़, कैथोलिक वर्ल्ड रिलीफ़, वर्ल्ड विज़न एवं अन्य मसीही संगठन भारत में कहीं पर भी किसी आपदा के समय तत्काल राहत पहुंचाने में अग्रणी रहते हैं।
भारतीय संविधान की निर्माण-प्रक्रिया के दौरान हुई बहस में मसीही नेताओं ने भी लिया था भाग
26 जनवरी, 1950 को भारत का संविधान लागू होने से पूर्व उस पर काफ़ी बहस हुई थी। मसीही लोगों ने भी अपने अधिकारों संबंधी इस बहस में भाग लिया था। मसीही नेताओं का कहना था कि 1) किसी को भी अपना धर्म मानने व उसका प्रचार करने का अधिकार होना चाहिए, 2) सरकारी सहायता-प्राप्त स्कूलों में धार्मिक निर्देश जारी करने की स्वतंत्रता होनी चाहिए, 3) किसी एक धर्म से दूसरे धर्म में जाने अर्थात धर्म-परिवर्तन का अधिकार होना चाहिए। इन तीनों मुद्दों पर जम कर बहस हुई थी और ये तीनों अधिकार भारत के मसीही समुदाय को संविधान में दे दिए गए थे।
मसीही समुदाय ने भारत को आधुनिकता के पथ पर आगे बढ़ायाः डॉ. नीता कुमारी
लखनऊ में जन्म लेने वाली डॉ. श्रीमति नीता कुमारी आज कल क्लेयरमौन्ट, कैलिफ़ोर्निया (अमेरिका) के क्लेयरमौन्ट मैकेना कॉलेज में चेयर ऑफ़ साऊथ एशियन हिस्ट्री की ब्राऊन फ़ैमिली चेयर की अध्यक्षा हैं। इससे पूर्व वह शिकागो युनिवर्सिटी, ब्राऊन युनिवर्सिटी तथा युनिवर्सिटी आूफ़ मिशीगन में भी पढ़ा चुकी हैं। वह वाराणसी (उत्तर प्रदेश) स्थित एक संगठन ‘निर्माण’ के साथ भी सक्रियता से जुड़ी रही हैं। वह भारत में अध्यापकों को भी प्रशिक्षण देती रही हैं। उन्होंने भारतीय समाज में गांव की महिलाओं व बच्चों के साथ मिल कर अनेक परियोजनाओं पर कार्य किए हैं। डॉ नीता कुमार का एक लेख सितम्बर 1993 में दैनिक ‘दि इकनौमिक टाईम्स’ (बंगलौर संस्करण) में प्रकाशित हुआ था, जिसमें उन्होंने पूर्णतया निष्पक्षता से भारत के मसीही समुदाय का विशलेष्ण व विवेचन किया है। डॉ. नीता कुमार का मानना है कि मसीही मिशनरियों ने अपने संस्थानों के द्वारा भारत को आधुनिकता के पथ पर आगे बढ़ाया। जब अन्य लोग देश में आधुनिकता लाने में असफ़ल रहे थे, परन्तु मसीही मिशनरियों ने ऐसे सभी कार्य बाख़ूबी किए। डॉ. नीता का यह भी मानना है कि उन विदेशी या देशी मसीही मिशनरियों का ध्यान धर्म-परिवर्तन पर उतना नहीं होता था, जितना ध्यान वे देश के गांवों व नगरों को आधुनिक बनाने पर एकाग्र करते थे। उनका तो यहां तक कहना है कि ‘‘भारत के जो लोग धर्म-परिवर्तन करके मसीही बन गए, वही ‘सच्चे आधुनिक भारतीय’ हैं।’’ इसके अतिरिक्त वह मसीही समुदाय के लोगों को ‘‘नूतन भारत के निर्माता’’ करार देती हैं।
-- -- मेहताब-उद-दीन -- [MEHTAB-UD-DIN]
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