अंग्रेज़ शासकों से सीधी टक्कर लेने वाले आगस्टीन रल्ला राम
लिखित रचनाओं में झलकता था राष्ट्रवाद युनाईटड चर्च ऑफ़ नॉर्थ इण्डिया के प्रमुख मसीही नेता आगस्टीन रल्ला राम कई वर्ष तक अलाहाबाद (अब प्रयागराज) स्थित जमना प्रैसबाईटिअरयन चर्च के पादरी रहे थे। वह 1928 से लेकर 1947 तक ‘स्टूडैन्ट क्रिस्चियन ऐसोसिएशन ऑफ़ इण्डिया, बर्मा एवं सीलौन’ के महा-सचिव (जनरल सैक्रेटरी) भी रहे थे। स्टूडैन्ट क्रिस्चियन ऐसोसिएशन ऑफ़ इण्डिया के महासचिव के तौर पर वह ‘दि स्टूडैन्ट आऊटलुक’, ‘दि स्टूडैन्ट आऊटलुक न्यूज़ शीट’ तथा ‘दि क्रिस्चियन मैसेन्जर’ के संपादक भी थे। इन सभी मासिक पत्रिकाओं में उनकी लिखित रचनाओं के द्वारा सदा राष्ट्रवाद झलकता था।
निजी घोषणा-पत्र जारी करके अंग्रेज़ शासकों को दी थी चुनौती जब ए. रल्ला राम वेल्स (इंग्लैण्ड) में थे, तब उन्होंने 27 अक्तूबर, 1932 को निजी तौर पर ‘दि प्रैज़ैन्ट इण्डियन पोलिटकल सिचुएशन ऑन दि वे आऊट’ (वर्तमान भारतीय राजनीतिक स्थिति का समाधान) शीर्षक से एक मैनीफ़ैस्टो (घोषणा-पत्र) जारी किया था। उसमें उन्होंने ब्रिटिश शासकों के भारत के प्रति बुरी प्रयोजनों को उजागर किया गया था तथा गोरे हाकिमों की दिखावेबाज़ी के आडम्बरों पर कई प्रकार के प्रश्न उठाए गए थे। अपने घोषणा-पत्र में उन्होंने कहा था कि - ‘‘केवल कांग्रेस ही एकमात्र ऐसी पार्टी है, जो भारत का भला कर सकती है। देश के 80 प्रतिशत लोगों का समर्थन कांग्रेस के ही साथ है। भारतियों को विगत लम्बे समय से डरा कर रखा गया है, इसी लिए अब आम आदमी वर्तमान शासकों के विरुद्ध बोलने से डरता है परन्तु एक सच्चा कांग्रेसी नेता अपनी बात कहने से कभी नहीं डरता।’’
घोषणा-पत्र के कारण इंग्लैण्ड के बहुत से मसीही प्रचारकों ने की थी आगस्टीन रल्ला राम की तीखी आलोचना इस घोषणा-पत्र से श्री आग्सटीन रल्ला राम की निर्भीकता ज्ञात होती है। उनके इस घोषणा-पत्र की इंग्लैण्ड में बहुत अधिक आलोचना हुई थी। वैसे तो बहुत से मसीही प्रचारकों ने उन पर टिप्पणियां की थीं, परन्तु जी.ई. फ़िलिप्स ने कहा था,‘‘मुझे लगता है कि ऑगस्टीन रल्ला राम कार्य की अधिकता से थक चुके हैं व कुछ अधिक ही उत्तेजित हैं। क्या कोई किसी डॉक्टर की सहायता से उन्हें दो या तीन सप्ताह के लिए आराम दिला सकता है।’’
पंजाब के नगर होशिायरपुर में पैदा हुए थे आगस्टीन रल्ला राम श्री आगस्टीन रल्ला राम का जन्म 1 सितम्बर, 1888 को पंजाब के नगर होशियारपुर में हुआ था। उनके दो भाई व एक बहन थी। उनके पिता रल्ला राम एक कट्टर ब्राह्मण पुजारी की संतान थे तथा वह अपने पिता के साथ नित्य मन्दिर जाया करते थे। श्री आगस्टीन के पिता रल्ला राम तब काली चरण चैटर्जी से बहुत अधिक प्रभावित थे। अपने पुजारी पिता के निधन के पश्चात् श्री रल्ला राम ने सदा के लिए यीशु मसीह को अपना लिया था और इस प्रकार उनके पुत्र ऑगस्टीन भी स्व-चालित रूप से मसीही हो गए थे।
इराक व पर्सिया भी गए 1911 में ऑगस्टीन ने फोरमैन क्रिस्चियन कॉलेज से ग्रैजुएशन की परीक्षा उतीर्ण की थी। 1915 में वह सहारनपर थ्योलोजिकल सैमिनरी से ग्रैजुएशन करके बाकायदा पादरी बने थे। वह तीन वर्ष अलाहाबाद में पादरी रहे और फिर वह भारतीय सैनिक बलों के चैपलेन (सैन्य पादरी) नियुक्त हो कर इराक व पर्सिया चले गए थे। 1919 में वह भारत लौट आए थे। तब चर्च के पादरी भी थे तथा साथ में ईविंग क्रिस्चियन कॉलेज में प्रोफ़ैसर भी रहे थे। 1923 से लेकर 1925 तक वह क्रिस्चियन ऐण्डैवर एग्ज़िक्युटिव काऊंसिल के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे थे और उन दो वर्षों तक वह कॉलेज से छुट्टी पर रहे थे।
बल्गारिया, फ्ऱांस, जर्मनी, फ़िलाडेल्फ़िया, जावा व मलाया भी गए 1932 से 1935 तक वह ‘वर्ल्ड स्टूडैन्ट क्रिस्चियन फ़ैड्रेशन’ के उपाध्यक्ष के पद पर रहे और तभी उन्हें बल्गारिया, फ्ऱांस, जर्मनी, फ़िलाडेल्फ़िया, जावा व मलाया जैसे देशों में जाने के सुअवसर भी प्राप्त हुए थे। 1945 में उन्हें कॉलेज ऑफ़ वूस्टर की ओर से चर्च ऑफ़ क्राईस्ट एक्यूमेनिकल की सेवा के कारण डॉक्टर ऑफ़ डिविनिटी की मानद (ऑनरेरी) डिग्री भी प्राप्त हुई थी। उन्हें यूनाईटिड चर्च ऑफ़ नार्दरन इण्डिया की ओर से 1947 की जनरल असैम्बली में मॉड्रेटर चुना गया था। 1948 में वह उत्तर प्रदेश क्रिस्चियन काऊँसिल के सचिव बने तथा इस पद पर वह 1956 तक नियुक्त रहे। वह ‘दि क्रिस्चियन मैसेन्जर’ (मसीही सन्देश-वाहक) नामक पत्रिका के संपादक भी रहे व इस पद पर वह 1957 में निधन तक नियुक्त रहे।
अनगिनत संगठनों से भी जुड़े रहे श्री ऑगस्टीन रल्ला राम सारा जीवन अनेक संगठनों, बोर्डों, स्कूलों व काऊँसिलों के साथ जुड़े रहे। अपने अन्तिम समय के दौरान वह भारत, पाकिस्तान व सीलौन (अब श्री लंका) की बाईबल सोसायटी की ‘नॉर्थ इण्डिया ऑग्ज़िलरी ऑफ़ दि ऑल-इण्डिया सैन्ट्रल कमेटी’ के उपाध्यक्ष भी रहे। इसके अतिरिक्त वह नैश्नल मिशनरी सोसायटी की प्रान्तीय समिति के सचिव के पद पर भी नियुक्त रहे। राजपुर रीट्रीट एण्ड स्टडी सैन्टर की सलाहकार कमेटी के चेयरमैन तथा स्कूल एण्ड होम फ़ॉर दि ब्लाईंड के सुपरिन्टैंडैन्ट के पद पर भी नियुक्त रहे। वह नैश्नल क्रिस्चियन काऊँसिल की कार्यकारिणी समिति का भी भाग बने रहे। वह भारतीय चर्चों की एकता के भी मुद्दई थे।
-- -- मेहताब-उद-दीन
-- [MEHTAB-UD-DIN]
भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन में मसीही समुदाय का योगदान की श्रृंख्ला पर वापिस जाने हेतु यहां क्लिक करें
-- [TO KNOW MORE ABOUT - THE ROLE OF CHRISTIANS IN THE FREEDOM OF INDIA -, CLICK HERE]