यीशु मसीह से ऐसे प्रेरणा ली थी मसीही स्वतंत्रता सेनानियों ने
मसीही समुदाय को स्वतंत्रता पूर्व कभी यथायोग्य प्रतिनिधित्व न मिल पाया
चित्र विवरणः राजा हेरोदेस के दरबार में यीशु मसीह को एक ‘अपराधी’ के तौर पर ऐसे प्रस्तुत किया गया था
चित्र स्रोतः यह दुर्लभ चित्र मोरावियन हिस्टौरिकल सोसायटी, फ़लस्तीन द्वारा तैयार किया गया है
1928 में जब अखिल भारतीय कांग्रेस समिति की एक बैठक मद्रास में हुई थी, इसी बैठक को संबोधित करते हुए पादरी जे.सी. चैटर्जी (प्रधान) ने कहा थाः ‘‘भारतीय राजनीति में धर्म का प्रभाव बहुत अधिक बना रहता है। परन्तु भारत के ईसाईयों को आम चुनावों में कभी यथायोग्य प्रतिनिधित्व नहीं मिला - न कभी विधान सभा चुनावों में एवं न ही स्थानीय सरकारों में। परन्तु फ़िलहाल हम किसी भी प्रकार का समस्या का सामने करने को तैयार है। हमारे मसीही समुदाय की अपने राष्ट्र के प्रति भी उतनी ही ज़िम्मेदारी बनती है। यदि हमें किसी भी प्रकार की कुर्बानी के लिए कहा जाता है, तो हम उसके लिए भी तैयार हैं।’’ उन्होंने मसीही समुदाय को संबोधित करते हुए इसी बैठक में कहा था,‘‘हमारे परमेश्वर यीशु मसीह ने हमें यही सिखाया है कि ‘जो कैसर* (जिसे आज अंग्रेज़ी में ‘सीज़र’ कहने लगे हैं और उसका पूरा नाम जूलियस सीज़र लिया जाता है। यह लातीनी भाषा का नाम है और उसे हिन्दी व उर्दू की बाईबल में अनुवाद करते हुए पूर्णतया सही ‘कैसर’ लिखा गया है। विलियम शेक्सपीयर का एक नाटक भी इसी नाम से बहुत प्रसिद्ध हैे) का है, वह कैसर को दो और जो परमेश्वर का है वह परमेश्वर को दो’, यीशु मसीह स्वयं एक विदेशी के राज्य के अधीन रहे थे, जो इस वर्तमान ब्रिटिश सरकार से कहीं अधिक निरंकुश तानाशाह व अत्याचारी था। इस वर्तमान सरकार के साथ सहयोगपूर्ण ढंग से चलने से अब कोई लाभ नहीं होने वाला है। नेहरू रिपोर्ट पर हमें गर्व है तथा प्रत्येक देश-भक्त भारतीय को उस पर ईमानदारी से विचार करना चाहिए। हम देश के किसानों के सख़्त परिश्रम एवं देश-भक्ति का सम्मान करते हैं। मैं यह कहना चाहूंगा कि हम नेहरू रिपोर्ट को पूर्णतया स्वीकार करते हैं ... ब्रिटिश सरकार ने कभी अल्प-संख्यकों के अधिकारों की ओर ध्यान नहीं दिया, अपितु उनकी उपेक्षा ही की है। इस सरकार ने एक अन्य अल्प-संख्यक समुदाय सिक्खों की मांगों पर तो बहुत अधिक ध्यान दिया परन्तु मसीही समुदाय को सदा नज़रअंदाज़ ही किया है, इस प्रकार यह सरकार भारत के समूह ईसाईयों को कभी संतुष्ट नहीं कर पाई है, उनके हितों की सुरक्षा इस ने कभी नहीं की।’’
*कैसर उर्फ़ सीज़र का पूरा नाम गेयस जूलियस कैसर था और उसने 12 या 13 जुलाई 100 ई.पू. (बी.सी.) से लेकर 15 मार्च 44 र्ई.पू तक रोम पर राज्य किया था। वास्तव में वह एक फ़ौजी तानाशाह था। उसी के युग में रोमन गणराज्य का पतन व रोमन साम्राज्य का उत्थान हुआ था। उसे आज हम एक लातीनी गद्य लेखक के तौर पर भी जानते हैं।
यीशु मसीह के समय रोम पर तिबरियस राजा की हकूमत थी, जिसका पूरा नाम था ‘ तिबरियस कैसर डिवी ऑगस्ती फ़िलियस ऑगस्तुस, जो 16 नवम्बर 42 ई.पू. से लेकर 16 मार्च 37 ई. तक रोम पर राज्य करता रहा था। यीशु ने इसी कैसर का वर्णन किया था। वैसे इस्रायल पर यीशु मसीह के समय निरंकुश तानाशाह (राजा) हैरोदेस का राज्य था, जो वास्तव में अरब मूल का था परन्तु उसने यहूदी धर्म का अपना लिया था। उसके पिता ऐन्टीपेटर अरब क्षेत्र से थे। हेरोदेस का जन्म जूडिया (जिसे बाईबल में यहुदिया कहा गया है और हम आज जिसे फ़लस्तीन के नाम से जानते हैं) में हुआ था, जो उस समय इस्रायल से अलग था।
-- -- मेहताब-उद-दीन -- [MEHTAB-UD-DIN]
भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन में मसीही समुदाय का योगदान की श्रृंख्ला पर वापिस जाने हेतु यहां क्लिक करें -- [TO KNOW MORE ABOUT - THE ROLE OF CHRISTIANS IN THE FREEDOM OF INDIA -, CLICK HERE]