केरल की प्रथम महिला संसद सदस्य ऐनी मैस्केरीन
अन्ना मणी के नाम से अधिक प्रसिद्ध रहीं ऐनी मैस्केरीन
भारतीय स्वंतत्रता आन्दोलन में ऐनी मैस्केरीन का नाम भी उनके वर्णनीय योगदान के कारण आदर सहित लिया जाता है। वह केरल में अन्ना मणी के नाम से अधिक प्रसिद्ध हैं। वह एक स्वतंत्रता सेनानी के साथ-साथ आज़ाद भारत की प्रथम लोक सभा के लिए एक आज़ाद उम्मीदवार के तौर पर तिरुवनंथापुरम से सदस्य चुनी गईं थीं। वह केरल की प्रथम महिला संसद सदस्य (एमपी) भी हैं। 1951 में हुए उन चुनावों में केरल से केवल 10 संसद सदस्य चुने गए थे तथा ऐनी मैस्केरीन भी उनमें से एक थीं। स्वतंत्रता आन्दोलनों में बढ़-चढ़ कर भाग लिया त्रावनकोर राज्य कांग्रेस के लिए चयनित होने वाली वह पहली महिला थीं तथा बाद में वही राज्य कांग्रेस वर्किंग कमेटी की सदस्य बनने वाली भी वही प्रथम महिला बनीं। उन्होंने अकम्मा चेरियन तथा पैटम थानू पिल्लै के साथ मिल कर स्वतंत्रता आन्दोलनों में बढ़-चढ़ कर भाग लिया था। अनेक बार की जेल-यात्रा स्वतंत्रता संग्राम में ऐसी सक्रियता के कारण उन्हें 1939 से लेकर 1947 तक अनेक बार जेल-यात्रा करनी पड़ी। जब त्रावनकोर राज्य को एकजुट भारत राष्ट्र में शामिल किया जा रहा था, तो अन्य नेताओं के साथ श्रीमति ऐनी मैस्केरीन ने भी बड़ी भूमिका निभाई थी। डबल एम.ए. किया श्रीमति मैस्केरीन का जन्म 6 जून, 1902 में एक लातीनी कैथोलिक परिवार में हुआ था। उनके पिता श्री गैब्रियल मैस्केरीन त्रावनकोर राज्य के सरकारी अधिकारी थे। ऐनी पढ़ने में बहुत होशियार थीं। उन्होंने 1925 में त्रावनकोर के नगर एरनाकुलम स्थित महाराजा कॉलेज से इतिहास एवं अर्थ शास्त्र दो विषयों में दोहरी पोस्ट-ग्रैजुएशन की थी। फिर वह कुछ समय के लिए श्री लंका (तब उसे सिलौन कहते थे) में अध्यापिका बन कर चली गईं। वहां से वापिस आकर उन्होंने वकालत की पढ़ाई संपन्न की। 1948 से लेकर 1952 तक वह त्रावनकोर-कोचीन विधान सभा सदस्य रहीं। केरल की विद्युत मंत्री बनीं वह 1949-50 के दौरान मुख्य मंत्री परूर टी.के. नारायण पिल्लै की सरकार में स्वास्थ्य व विद्युत मंत्री भी रहीं। वह हिन्दु कोड बिल पर विचार करने वाली विधान सभा की एक समिति की सदस्य भी रहीं। जब वह केरल की मंत्री थीं, तब उन्होंने तत्कालीन लोक निर्माण मंत्री ई. जौन फ़िलिपोस पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। परन्तु उस समय मुख्य मंत्री श्री परूर ने फ़िलिपोस का समर्थन किया था। बाद में उन्हें मुख्य मंत्री के पद से त्याग-पत्र देना पड़ा था। उसके बाद श्री फ़िलिपोस ने श्रीमति ऐनी मैस्केरीन पर मानहानि का दावा ठोक दिया था। अदालती सुनवाई के उपरान्त श्री फ़िलिपोस को सभी आरोपों से बरी करार दिया गया और श्रीमति मैस्केरीन को उन्हें मुआवज़ा देना पड़ा। तिरूवनंथापुरम के वज़ूथाकौड क्षेत्र में उनका एक बुत्त स्थापित है श्रीमति ऐनी मैस्केरीन का देहांत 19 जुलाई, 1963 को हुआ। उन्हें तिरूवनंथापुरम के पट्टूर कब्रिस्तान में दफ़नाया गया। तिरूवनंथापुरम के वज़ूथाकौड क्षेत्र में उनका एक बुत्त स्थापित किया गया, जिसका उद्घाटन सितम्बर 2013 में भारत के उप-राष्ट्रपति श्री हामिद अन्सारी ने किया था। केरल सरकार ने कांस्य का यह बुत्त विशेष तौर पर 20 लाख रुपए की लागत से तैयार करवाया था। -- -- मेहताब-उद-दीन -- [MEHTAB-UD-DIN] भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन में मसीही समुदाय का योगदान की श्रृंख्ला पर वापिस जाने हेतु यहां क्लिक करें -- [TO KNOW MORE ABOUT - THE ROLE OF CHRISTIANS IN THE FREEDOM OF INDIA -, CLICK HERE]