हँसी का फ़व्वारा हैं बॉलीवुड के विलक्ष्ण कॉमेडी-किंग - जॉनी लीवर
विलक्ष्ण प्रतिभा के मालिक हैं जॉनी लीवर
बॉलीवुड के पहले स्टैण्ड-अप कॉमेडियन्स में से एक जॉनी लीवर को कौन नहीं जानता। उन्होंने बॉलीवुड के लगभग प्रत्येक छोटे-बड़े कलाकार के साथ काम कर के अपने अभिनय की विलक्ष्ण कला का लोहा मनवाया है। उनके सामने चाहे शाहरुख ख़ान हो चाहे अमिताभ बच्चन या सलमान ख़ान - जॉनी लीवर अपनी दमदार अदाकारी के कारण कभी किसी शख़्सियत से दबे नहीं। उन्होंने प्रत्येक फ़िल्म से अपनी एक अलग पहचान बनाई। प्रत्येक फ़िल्म में जॉनी लीवर ने अपने किरदार को जीवंत किया। उन्हें दो फ़िल्म फ़ेयर पुरुस्कार प्राप्त हो चुके हैं, तथापि उन्हें कुल 13 बार इस पुरुस्कार हेतु नामांकित किया गया था क्योंकि लगभग हर फ़िल्म में वह एक अलग अंदाज़ में दर्शकों पर अपनी अदाकारी के जौहर दिखलाते हुए अपनी एक अमिट छाप छोड़ जाते हैं। इसी लिए जॉनी लीवर को ‘कॉमेडी का बादशाह’ या ‘कॉमेडी किंग’ भी कहा जाता है।
बेटे की बीमारी से जॉनी लीवर के जीवन में आया परिवर्तन
आज चाहे ज़्यादातर दुनिया जॉनी लीवर को को महा-कॉमेडियन के तौर पर जानती हैं, परन्तु यह बात बहुत कम लोगों को ज्ञात है कि वह आज-कल अपना अधिकतर समय मसीही प्रचार में व्यतीत करते हैं। दरअसल, उनके बेटे जैसी को गर्दन का ट्यूमर (रसौली या गांठ) था, डॉक्टरों ने लगभग जवाब दे दिया था। परन्तु प्रभु यीशु के आगे दुआएं करने के दौरान ही जैसी का अमेरिका में सफ़ल आप्रेशन हुआ। तब से जॉनी लीवर का अधिक ध्यान जीसस की भक्ति में लीन हो गया।
तेलगु मसीही परिवार में पैदा हुए जॉनी लीवर
14 अगस्त, 1957 को आंध्र प्रदेश के कनीगिरी प्रकासम नगर में एक तेलगु मसीही परिवार में पैदा हुए जॉनी लीवर के पिता का नाम प्रकाश राव जानूमाला व माता का नाम करुणाम्मा जानीमाला था। जॉनी लीवर के छोटे भाई प्रसिद्ध हास्य कलाकार जिम्मी मोसेज़ ने भी ख़ूब नाम कमाया है।
हिन्दुस्तान लीवर कंपनी से मिला नाम
जॉनी लीवर को चाहे 7वीं कक्षा से आगे पढ़ने का अवसर प्राप्त नहीं हुआ परन्तु वह फ़र्राटेदार अंग्रेज़ी व हिन्दी भाषाएं बोल लेते हैं। तेलगु तो उनकी मातृ-भाषा है ही। उनके पिता मुंबई में हिन्दुस्तान लीवर नामक जानी-मानी कंपनी में कार्यरत थे। जॉनी लीवर ने स्वयं भी इसी कंपनी में काम किया। उनके नाम (जॉन राव) जॉनी के पीछे ‘लीवर’ उसी कंपनी की वजह से लगा है - क्योंकि वह प्रारंभ से ही इसी नाम से अधिक जाने जाते थे। प्रारंभ में उनकी मिमिक्री की बहुत बढ़िया कैसेट्स आईं थीं, जो हिट हो गईं; ‘हंसी के हंगामे’ सब से अधिक सफ़ल रही। उसके पश्चात् वह स्टेज शो करने लगे। स्टेज पर गए तो वहां पर भी छा गए। वर्ष 1981 में जॉनी लीवर ने अपनी नौकरी छोड़ दी थी। अगले वर्ष 1982 में वह अमिताभ बच्चन के साथ लाईव शोज़ में गए और देश-विदेश घूमे। अब तक वह देश-विदेश में हज़ारों शो व 350 से भी अधिक फ़िल्मों में काम कर चुके हैं।
सुनील दत्त ने दिया पहला ब्रेक
जॉनी लीवर को पहला ब्रेक सुनील दत्त ने अपनी फ़िल्म ‘दर्द का रिश्ता’ से मिला। उससे पहले भी उनकी प्रतिभा को स्टेज व फ़िल्म कलाकार तबस्सुम ने पहचान लिया था तथा अपने टीवी धारावाहिक ‘तुम पर हम कुर्बान’ में काम दिया था। तबस्सुम ने वह धारावाहिक अपने बेटे होशांग गोविल को लांच करने हेतु बनाया था। नसीरूद्दीन शाह के साथ जॉनी लीवर ने फ़िल्म ‘जलवा’ की। सबसे अधिक सफ़लता उन्हें अब्बास-मस्तान द्वारा निर्देशित शाहरुख़ ख़ान की फ़िल्म ‘बाज़ीगर’ से मिली थी। वह ‘मिमिक्री आर्टिस्ट ऐसोसिएशन मुंबई’ के अध्यक्ष हैं।
जॉनी लीवर की पत्नी का नाम सुजाता तथा पु़त्र जैसी के साथ-साथ उनकीसुपुत्री जेमी है। जेमी भी स्टैण्ड-अप कॉमेडियन हैं।
-- -- मेहताब-उद-दीन -- [MEHTAB-UD-DIN]
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