क्या पवित्र बाईबल के अनुसार ‘बाग़-ए-अदन’ भारत में था?
बाग़-ए-अदन के वास्तविक स्थान पर एकमत नहीं हैं विद्वान
विश्व के चार महाद्वीपों तथा 9 देशों के 120 से भी अधिक समाचार संगठनों के साथ काम कर चुके पुलित्ज़र पुरुसकार विजेता लेखक व कैनेडा के विश्व-विख्यात पत्रकार बारी ब्राऊन का मानना है कि पवित्र बाईबल में बड़े स्पष्ट संकेत हैं कि वह बाग़-ए-अदन (गार्डन ऑफ़ ईडन) भारत में हुआ करता था, जिस में परमेश्वर ने पृथ्वी के पहले मानव आदम (ऐडम) व उसकी पत्नी हव्वा (ईव) को रखा था। वैसे आज तक किसी भी अनुसंधान से यह बात सिद्ध नहीं हो पाई है। दुनिया के अधिकतर लोग इस बाग़ को या तो यमन देश में या फिर बेबीलोन के समीप अथवा कुवैत में मानते हैं परन्तु इस मुद्दे पर स्पष्ट कोई भी नहीं है। [PHOTO: GRUNGE]
शब्द ‘हवीला’ से निकाला गया यह अर्थ
बारी ब्राऊन की खोज के अनुसार पवित्र बाईबल (उत्पत्ति 25ः18) बताती है कि बाग़-ए-अदन इस्रायल से पूर्व दिशा की ओर ‘हवीला’ नामक एक बड़े भू-भाग में स्थित था। यहूदी तालमुदिक टिप्पणियों व परंपरा तथा प्रारंभिक मसीही चर्च के पितामाहों के अनुसार हवीला वास्तव में भारत को कहा जाता था। शब्द ‘हवीला’ का अर्थ ‘सोने से भरपूर’ होता है और यह बात सर्वज्ञात है कि प्राचीन काल में समस्त विश्व में केवल भारत को ही ‘सोने की चिड़िया’ कहा जाता था। हवीला के बीच में से तीन नदियां टिगरिस, यूफ़रेट्स एवं पिशौन बहती बताई गईं हैं। बारी ब्राऊन के अनुसार यह पिशौन नदी वास्तव में गंगा नदी का ही प्राचीन नाम है।
यहूदी परंपरा के अनुसार 8,000 वर्ष पूर्व हुए थे आदम और हव्वा
यहूदी या हिब्रू कैलण्डर के अनुसार यह वर्ष 5780 है और आधुनिक कैलण्डर के अनुसार यह वर्ष 2020 चल रहा है अर्थात यहूदी सभ्यता 3,760 बी.सी. में अर्थात यीशु मसीह से 3,760 वर्ष पूर्व विकसित होने लगी थी। यहूदी परंपरा के अनुसार आदम और हव्वा लगभग 6,000 वर्ष पूर्व हुए थे और फिर जब उस बाग़-ए-अदन का पतन हुआ, तो उसी बाग़ की सभ्यता समस्त संसार में फैली। पवित्र बाईबल के अनुसार बाग़-ए-अदन की घटनाओं के पशचात् धरती पर बहुत बड़ी बाढ़ आई थी। नूह की किश्ती में मानव जाति व पशु-पक्षी बच गए थे। उनकी किश्ती अरारात पर्वतों पर फंस गई थी और यह क्षेत्र आधुनिक तुर्की से लेकर फ़ारस की वर्तमान खाड़ी तक का है। मध्य-पूर्व, दक्षिण एशिया, चीन एवं प्रशांत महांसागर के टापू देशों सहित सहित विश्व में ऐसे 200 से अधिक रेकार्ड मौजूद हैं, जिनके अनुसार 4,500 से लेकर 4,800 वर्ष पूर्व धरती पर बाढ़ आई थी।
दिलचस्प है बारी ब्र्राऊन का अनुसंधान
बारी ब्राऊन के अनुसार रोमन साम्राज्य की स्थापना से 4,000 वर्ष पूर्व केवल एक ही सभ्यता ‘सिन्धु घाटी की सभ्यता’ हुआ करती थी। यदि नूह की किश्ती सिन्धु नदी से पश्चिम की ओर 40 दिनों तक तैरती हुई निकल गई थी, तो यह निश्चित रूप से फ़ारस की खाड़ी ही हो सकती है, जो अरारात पर्वत के पैरों में है। पवित्र बाईबल में पृथ्वी पर तीन प्रकार के लोग बताए गए हैं - नैतिक रूप से साश्क्त व ईमानदार लोग, जो आदम से लेकर नूह तक थे। उसके बाद हिब्रू लोग थे, जो अब्राहम से लेकर यीशु मसीह के दुनियावी पिता यूसफ़ तक हुए और फिर इस्रायली व यहूदी हैं। हिब्रू का शाब्दिक अर्थ ‘लम्बी यात्राएं करने वाले’ है, जो पूर्व दिशा से आए थे और वे पूर्वी से मध्य पूर्व में मैसोपोटामिया में पहुंचे थे। यदि नूह अरारात के पहाड़ों से उतर कर तुर्की में पहुंचे थे, तो उनके वंशजों ने तो यही कहा होगा कि वे उत्तर दिशा की ओर से आए लोग थे।
इस प्रकार बारी ब्राऊन का अनुसंधान काफ़ी दिलचस्प है।
-- -- मेहताब-उद-दीन -- [MEHTAB-UD-DIN]
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