Tuesday, 25th December, 2018 -- A CHRISTIAN FORT PRESENTATION

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सरदार पटेल व जयप्रकाश नारायण के साथी रहे जोआकिम अल्वा



स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने हेतु ठुकरा दी थी सरकारी नौकरी

Joachim Alvaअभी हम एक ऐसी मसीही हस्ती तथा देश की आज़ादी में उनके योगदान के बारे में बात करना चाहेंगे, जिनको आज केवल मसीही समुदाय ही नहीं, अपितु समस्त भारत वासी अपना मानते हैं। उनका नाम है जोआचिम इग्नाशियस सेवास्चियन अल्वा। वह ज़्यादातर जोआकिम अल्वा के नाम से ही जाने जाते थे और कुछ लोग उन्हें योआचिम अल्वा भी बुलाते हैं। उनका जन्म 21 जनवरी, 1907 को वर्तमान कर्नाटक के मंगलौर नगर में हुआ था। वह एक अधिवक्ता अर्थात वकील भी थे तथा पत्रकार एवं राजनीतिज्ञ भी थे। वह महात्मा गांधी जी के आदर्शों से अत्यंत प्रभावित थे। वह स्वयं अपने समय में युवा मसीही विद्यार्थियों के आदर्श हुआ करते थे। स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने हेतु उन्होंने तब अच्छे वेतन वाली सरकारी नौकरी तक को ठुकरा दिया था। उन्होंने अपनी फ़ोर्म से सदा स्वदेश, मानवीय भाईचारे की ही बात की।


चार बार लोक सभा सदस्य चुने गए

स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् जोआकिम अल्वा 1949 में बम्बई (अब मुंबई) के शैरिफ़ भी नियुक्त हुए थे। 1950 में उन्हें भारत की अस्थायी संसद का सदस्य भी बनाया गया था। वह उत्तरी कन्नड़ा निर्वाचन क्षेत्र से 1952, 1957 एवं 1962 में लोक सभा सदस्य भी चुने गए थे। वह मूल रूप से उडुपी ज़िले के बैले स्थित मंगलौरियन कैथोलिक परिवार से संबंधित थे। उन्होंने प्राथमिक व उच्च शिक्षा एल्फ़िनस्टोन कॉलेज, सरकारी लॉअ कॉलेज-बंबई एवं बंबई के ही जैसुइट सेंट ज़ेवियर कॉलेज जैसे संस्थानों से प्राप्त की थी।


नैशनलिस्ट क्रिस्चियन पार्टी बनाई थी स्वतंत्रता संग्राम हेतु मसीही समुदाय को इकठ्ठा करने के लिए

1928 में श्री जोआकिम अल्वा 50 वर्ष पुरानी बौम्बे स्टूडैन्ट्स ब्रदरहुड संस्था के सचिव नियुक्त हुए थे। यह सम्मान प्राप्त करने वाले वह प्रथम मसीही थे। 1930 में श्री अल्वा ने नैशनलिस्ट क्रिस्चियन पार्टी की स्थापना की थी। यह पार्टी उन्होंने बनाई ही इस लिए थी कि भारत मसीही भाई-बहन सब बढ़-चढ़ कर स्वतंत्रता आन्दोलन में भाग लें।


जोआकिम अलवा की बहू हैं मारग्रेट अल्वा

Margret Alva and Niranjan Alvaकांग्रेस पार्टी से जुड़ी रहीं प्रसिद्ध महिला नेता श्रीमति मारग्रेट अल्वा (श्रीमति मारग्रेट अल्वा का वास्तविक नाम मारग्रेट नाज़रथ (नासरत) है तथा वह अखिल भारतीय कांग्रेस समिति की महासचिव, उत्तराखण्ड की राज्यपाल रह चुकी हैं तथा अगस्त 2014 तक अपना कार्यकाल समाप्त होने तक वह राजस्थान की राज्यपाल रहीं) वास्तव में श्री जोआकिम अल्वा की बहू हैं। श्रीमति मारग्रेट का विवाह श्री जोआकिम अल्वा के पुत्र निरंजन के साथ हुआ था। श्री निरंजन अल्वा का निधन 7 अप्रैल, 2018 को हो गया था। श्री जोआकिम की पत्नी श्रीमति वॉयलेट अल्वा (जिनका असली नाम वॉयलेट हरि था तथा वह गुजरात के प्रोटैस्टैंट मसीही परिवार से संबंधित थीं) का भी स्वतंत्रता आन्दोलन में बहुमूल्य योगदान रहा है। उनके बारे में अलग से चर्चा करेंगे। श्री जोआकिम व श्रीमति वॉयलेट अल्वा का एक अन्य पुत्र चितरंजन व पुत्री माया हैं।


कॉलेज से निकाला गया स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के कारण

Joachim Alva with Jawaharlal Nehru श्री अल्वा क्योंकि स्वतंत्रता संग्राम की गतिविधियों में अधिक भाग लेते रहते थे, इसी लिए उन्हें सेंट ज़ेवियर’स कॉलेज से एक बार निकाल भी दिया गया था। तब उन पर आरोप लगाया गया था कि श्री जोआकिम अल्वा ने कैथोलिक स्टूडैंट्स यूनियन में यह प्रस्ताव पारित करवाया था कि यूनियन में अन्य धर्मों के विद्यार्थियों को भी सम्मिलित किया जाए।

1937 में श्री अल्वा की अध्यक्षता में ही बम्बई में मसीही समुदाय की एक बहुत बड़ी बैठक (जिसे आज रैली कहते हैं) हुई थी, जिसे अन्य मसीही नेताओं के अतिरिक्त तत्कालीन राष्ट्रीय नेता श्री जवाहरलाल नेहरू ने भी संबोधन किया था। इसके अतिरिक्त बरदोली सत्याग्रह में श्री अल्वा ने ‘टैक्स नहीं’ अभियान छेड़ा था।


अंग्रेज़ शासकों ने दो बार भेजा जेल, वल्लभभाई पटेल, जयप्रकाश नारायण व मोरारजी देसाई थे साथ

अंग्रेज़ शासकों ने उन पर सरकार के विरुद्ध विद्रोह (बग़ावत) का आरोप लगाते हुए दो बार उन्हें जेल भी भेजा। उनके साथ जेल में उनके साथी पता हैं कौन-कौन हुआ करते थे - वल्लभभाई पटेल, जयप्रकाश नारायण, मोरारजी देसाई तथा जे.सी. कुमारअप्पा। 1934 में महात्मा गांधी ने उन्हें एक पत्र लिख कर कहा था कि वह येरवड़ा जेल में उन्हें बहुत याद करते रहे, क्योंकि श्री अल्वा तब कुछ जल्दी रिहा हो गए थे।


दो पुस्तकें भी लिखीं

नासिक जेल में श्री अल्वा ने दो पुस्तकें ‘मैन एण्ड सुपरमैन ऑफ़ हिन्दुस्तान’ तथा ‘इण्डियन क्रिस्चियन्स एण्ड नैश्नलिज़म’ लिखीं परन्तु जेल अधिकारियों ने उनकी पाण्डुलिपियां छीन लीं। परन्तु ‘मैन एण्ड सुपरमैन ऑफ़ हिन्दुस्तान’ को उन्होंने पुनः लिखा तथा वह पुस्तक 1943 में प्रकाशित हुई।

श्री जोआकिम अल्वा का निधन 28 जून, 1979 को हुआ था।

Mehtab-Ud-Din


-- -- मेहताब-उद-दीन

-- [MEHTAB-UD-DIN]



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