पवित्र ‘बाईबल’ के कुछ महत्त्वपूर्ण तथ्य (91-110)
91.
मन्ना का स्वाद शहद के वेफ़र (पुआ, पापड़ या छोटी रोटी) जैसा होता है। मन्ना का विवरण पवित्र बाईबल में दो बार, एक तो ‘निर्गमन’ नामक पुस्तक के 11वें अध्याय की पहली से 36वीं आयत तक और फिर ‘गिनती’ की पुस्तक के 11वें अध्याय की पहली से 9वीं आयत तक आता है। वह आकाश से वैसे ही गिरता था, जैसे ओस पड़ती है या कोहरा पड़ता है। इसे सूर्य की तपिश से पिघल जाने से पहले-पहले उठाना पड़ता था। बाद में उसे भून लिया जाता था और तब वह खाने योग्य बन जाता था और उसका स्वाद किसी तेल में भूने हुए केक की तरह हो जाता था। यहोवा ने मूसा (जो मिस्र के राजकुमार थे, जिनका जन्म यीशु मसीह से 1393 वर्ष पहले हुआ था और बाद में इस्रायलियों के धार्मिक व कानूनी रहनुमा बने) से वायदा किया था कि वह अपने इस्रायली लोगों को भूखे नहीं रहने देगा और वह आकाश से रोटी बरसाएगा। वह यही मन्ना था, जो इस्रायलियों ने कनान देश तक पहुंचने अर्थात 40 वर्षों तक खाया।
92. प्राचीन इस्रायल में लोग एक-दूसरे से जूतों की अदला-बदली करके बड़े से बड़ा समझौता कर लिया करते थे (रूत 4ः7)।
93. आदम का निधन 930 वर्ष की आयु में हुआ था (उत्पत्ति 5ः5)।
94. पवित्र बाईबल के अनुसार जब मूसा को यहोवा की ओर से दस हुकम (10 आदेश या टैन कमाण्डमैन्ट्स) मिले थे, तो उनका चेहरा किरणों से चमकता था। इसी लिए वह अपना चेहरा सदा ढंक कर रखते थे। यह बात ‘निर्गमन’ की पुस्तक के 34वें अध्याय की 33वीं से 35वीं आयत तक दर्ज है।
95. जब हमारे उद्धारकर्ता प्रभु यीशु मसीह ने सलीब पर प्राण त्यागे थे, तो उस सारे क्षेत्र में भूचाल आ गया था और पवित्र सन्त लोगों की कब्रें खुल गई थीं और वे जीवित हो कर उठ गए थे तथा नगर के बहुत से लोगों को दिखाई भी दिए थे (मत्ती 27ः52-53)।
96. परमेश्वर के समक्ष जानवर भी जवाबदेह हुआ करते थे (उत्पत्ति 9ः5)।
97. पौलूस रसूल को यीशु मसीह का सुसमाचार गली-गली में सुनाने के कारण पांच बार कोड़े खाने (मार खानी) पड़ी थी। तीन बार उनका समुद्री जहाज़ भी टूट गया था (2 कुरिन्थियों 11ः24-25)। इतनी कठिनाईयों को झेलने के बाद भी वह यीशु मसीह में और भी मज़बूत होते चले गए।
98. तीन मजूसियों ने यीशु मसीह को उनके जन्म के समय चरनी पड़े हुए नहीं बल्कि उनके जन्म कुछ समय के पश्चात् पिता युसुफ़ व माँ मरियम के घर में ही पहली बार देखा था (मत्ती 2ः11)।
99. हमारे मुक्तिदाता प्रभु यीशु मसीह के चार दुनियावी भाई जेम्स (याकूब), जोसेस (युसुफ़), साईमन (शमौन) वह जुडास (यहूदा) थे (मत्ती 13ः55 एवं मरकुस 6ः3)। 1924 के बाद अमेरिकन राज्य इलिनोयस के नगर शिकागो में सामने आई पुस्तक ‘युरैन्शिया बुक’ में यीशु मसीह के बचपन का विवरण दिया गया है। उस पुस्तक के अनुसार यीशु मसीह अभी जब पांच वर्ष के थे, तो उनकी दुनियावी बहन मिरियम का जन्म सन् दो बी.सी. में 11 जुलाई की रात को हुआ था। यीशु मसीह के बाद उनके दुनियावी भाई याकूब ने ही येरूशलेम के प्रारंभिक चर्च को संभाला था।
100. विश्व में ‘बलि का बकरा’ (अंग्रेज़ी में ‘स्केपगोट’) नामक मुहावरे का प्रयोग पवित्र बाईबल की पुस्तक ‘लैव्यव्यवस्था’ के 16वें अध्याय की 10वीं आयत में दर्ज आयत के आधार पर ही प्रारंभ हुआ था, जिस ने स्थानीय लोगों के पाप अपने ऊपर लेने थे और फिर जिसे बाद में जंगल में छोड़ दिया जाना था।
101. मूसा केवल चार माह के थे, जब फ़िरऔन बादशाह की बेटी ने उन्हें एक टोकरी में पड़ा पाया था (प्रेरितों के काम 7ः20-21)।
102. पवित्र बाईबल के पुराने नियम की पुस्तक ‘2 शमूएल’ के तीसरे अध्याय की 31वीं आयत में बताया गया है कि प्राचीन समय में इस्रायल में जब कोई दुःख या किसी करीबी रिश्तेदार या मित्रगण के देहांत के समय शोक में होता था, तो वह अपने शरीर के गिर्द टाट बांध लिया करते थे, ताकि अन्य लोगों को यह मालूम हो सके कि वे शोकाकुल हैं।
103. शब्द ‘आमीन’ का अर्थ है ‘ऐसा ही हो’। संस्कृत भाषा में इस शब्द का पर्याय ‘तथास्तु’ है।
104. मुर्दों में से जी उठने के पश्चात् यीशु मसीह 40 दिनों तक पृथ्वी पर रहे थे (प्रेरितों के काम 1ः3) और उसके बाद वह बादलों पर बैठ कर स्वर्ग-लोक चले गए थे।
105. पवित्र बाईबल की पुस्तक ‘लैव्यव्यवस्था’ के 11वें अध्याय की 22वीं आयत में घास की टिड्डियों, झींगरों व ऐसे कुछ जीवों को इस्रायलियों के खाने के लिए शुद्ध माना गया है। पश्चिमी देशों में ऐसी टिड्डियां बड़े-बड़े पांच व सात-सितारा होटलों में भी बड़े चाव से परोसी व खाई जाती हैं।
106. परमेश्वर अर्थात यहोवा के बाग़-ए-अदन में वर्षा नहीं हुआ करती थी, बल्कि भूमि से कोहरे के रूप में ही जल वाष्पों के रूप में उठ कर सारी धरती को सींच देता था (उत्पत्ति 2ः5-6)।
107. चौरासी वर्षीय भविष्यद्वक्तिन हन्नाह (ऐना) ने येरूशलेम के पवित्र स्थान पर बाल यीशु के लिए प्रार्थना की थी। (लूका 2ः36-38)
108. अकाल व भूखमरी के दौरान एक महिला अपने ही पुत्र को मार कर खा गई थी। यह बात 2 राजा 6ः29 में दर्ज है।
109. यहोवा अर्थात परमेश्वर हमें कोख में जनने से पहले ही हमें जानते व अभिषेक करते हैं (यिर्मयाह 1ः5)।
110. हमारे उद्धारकर्ता प्रभु यीशु मसीह को पवित्र बाईबल में बहुत से नाम - इमानुएल, अल्फ़ा एवं ओमेगा अर्थाता आदि और अन्त, सुबह का चमकदार सितारा, अच्छा चरवाहा, राजाओं का राजा, परमेश्वर का मेमना, मालिक, प्रभु, जीवन का शहज़ादा, अदभुत सलाहकार, अनन्त पिता एवं शांति का शहज़ादा - दिए गए हैं।
-- -- मेहताब-उद-दीन -- [MEHTAB-UD-DIN]
भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन में मसीही समुदाय का योगदान की श्रृंख्ला पर वापिस जाने हेतु यहां क्लिक करें -- [TO KNOW MORE ABOUT - THE ROLE OF CHRISTIANS IN THE FREEDOM OF INDIA -, CLICK HERE]