पवित्र ‘बाईबल’ के कुछ महत्त्वपूर्ण तथ्य (61-75)
61.
पवित्र बाईबल के नए नियम में सन्त पॉल (पौलूस) कहते हैं कि महिलाओं को चर्च में कभी बोलना नहीं चाहिए। इसी लिए बहुत से मसीही मिशनें आज भी चर्च में कोई महिला पादरी नियुक्त नहीं करती हैं परन्तु समय के साथ अब इस रुझान में धीरे-धीरे परिवर्तन आ रहे हैं और महिला पादरी भी नियुक्त होने लगी हैं। 12 मार्च, 1994 को इंग्लैण्ड में पहली बार एक साथ 32 महिलाओं को पादरी नियुक्त किया गया था।
62. पवित्र बाईबल के पुराने नियम में यीशु मसीह का वर्णन सीधे तथा बहुत से संकेतों के रूप में मिलता है और फिर नए नियम में वह स्वयं प्रकट होते हैं। वैसे तो पुराने नियम में यीशु मसीह के आने की 300 से अधिक भविष्यवाणियां मिलती हैं परन्तु उनमें से 44 भविष्यवाणियां तो बिल्कुल ही स्पष्ट हैं बाकी सांकेतिक।
63. पवित्र बाईबल में आयतों की व्याख्याएं देने का कार्य 1551 में पहली बार पादरी रॉबर्टस स्टीफ़न्स ने छपाई का कार्य आरंभ होने के बाद किया था।
64. जर्मनी के विल्हेमस्पलैट्ज़ नगर में स्थित युनिवर्सिटी ऑफ़ गौटिन्जन में एक ऐसी पवित्र बाईबल मौजूद है, जिसे खजूर (पाम) के 2,470 पत्तों पर लिखा गया है।
65. पवित्र बाईबल में 500 आयतों में प्रार्थना करने, 500 से कुछ कम आयतों में सच्चा विश्वास रखने का वर्णन है। इसके अतिरिक्त 2,000 से अधिक आयतें धन एवं विभिन्न संपत्तियों से संबंधित हैं।
66. संपूण्र पवित्र बाईबल को 70 घन्टों में पढ़ा जा सकता है, बशर्ते लगातार व कुछ तेज़ी से पढ़ा जाए।
67. पवित्र बाईबल के ‘किंग जेम्स’ अंग्रेज़ी संस्करण में हिब्रू भाषा के 8,674 विभिन्न शब्द, यूनानी भाषा के 5,624 विभिन्न शब्द तथा अंग्रेज़ी भाषा के 12,143 विभिन्न शब्द मौजूद हैं।
68. पवित्र बाईबल के अंग्रेज़ी अनुवाद (किंग जेम्स संस्करण) को यदि आधार बनाएं, तो पुस्तक ‘एज़्रा’ के 7वें अध्याय की 21वीं आयत में अंग्रेज़ी के ‘जे’ अक्षर के अतिरिक्त सभी अक्षर आते हैं। इसी प्रकार जोशुआ 7ः24, 1 राजा 1-9, 1 इतिहास 12ः40, 2 इतिहास 36ः10, यहेजकेल 28ः13, दानिय्येल 4ः37 तथा हाग्गै 1ः1 में सभी अक्षर तो हैं परन्तु आपको कहीं पर भी अंग्रेज़ी अक्षर ‘क्यू’ नहीं मिलेगा। 2 राजा 16ः15 एवं 1 इतिहास 4ः10 में आपको कहीं पर भी अंग्रेज़ी वर्णमाला का अंतिम अक्षर ‘ज़ैड’ नहीं मिलेगा। गलातियां 1ः14 में आपको ‘के’ अक्षर नहीं मिलेगा।
69. पवित्र बाईबल में गैब्रियल (इसे ज़िब्रायल भी कहा जाता है), माईकल एवं लूसीफ़र जैसे फ़रिश्तों (स्वर्गीय दूतों) का वर्णन मिलता है। राफ़ेल नामक एक अन्य फ़रिश्ते का वर्णन भी ‘प्रकाशित वाक्य’ में दिया गया है।
70. पवित्र बाईबल के अंग्रेज़ी संस्करण में शब्द ‘बैप्टाईज़’ (बप्तिसमा देना) या ‘बैप्टाईज़िंग’ 77 बार आया है।
71. पवित्र बाईबल की अन्तिम पुस्तक ‘प्रकाशित-वाक्य’ में चार घुड़सवारों का वर्णन आता है, जो जीत, कत्लेआम, अकाल एवं मृत्यु हैं।
72. यीशु मसीह के बैथलेहम की एक चरनी में जन्म के समय तीन मजूसी अलग-अलग दिशाओं से नवजात शिशु यीशु को देखने व कुछ उपहार लेकर आए थे। नए नियम में उनका नाम तो कहीं नहीं मिलता, परन्तु उस समय की प्रचलित परंपराओं व विभिन्न कथाओं के आधार पर पश्चिमी देशों के विद्वानों ने इस संबंधी बहुत गहन खोज कर यह निष्कर्ष निकाला है कि वे तीनों विभिन्न देशों के राजा था। उन्हें अब बहुत से मसीही समुदाय तीन सन्तों (तीन सेंट्स) के रूप में भी मानते हैं। इनमें से एक मजूसी था मेलकुआएर (मेलिक्योर भी कहते हैं), जो फ़ारसी का विद्वान था और जिस ने यीशु मसीह के लिए सोना उपहार स्वरूप दिया था। दूसरा मजूसी था कैस्पर (जिसे गैस्पर, जैस्पर, जैस्पस, गैथसपा भी कहा जाता है), जो वास्तव में भारत का विद्वान था। कुछ विद्वान उसे राजा कैस्पर मानते हैं, जिसका राज्य तब वर्तमान पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, समूचा पाकिस्तान से लेकर ईरान तक था और उस ने बाल यीशु को उपहार स्वरूप लोबान (उस समय का उत्कृष्ट व कीमती परफ़्यूम या सुगन्ध) दिया था। तीसरे मजूसी का नाम था बाल्थाज़र (जिसे बाल्थासर, बाल्थास्सार व बिथिसरेआ भी कहते हैं), जो बेबीलोन का विद्वान राजा था और उस ने मुर नामक एक अन्य सुगन्धित पदार्थ बाल यीशु को भेंट किया था।
73. यीशु मसीह के साथ जो दो डाकू सलीब पर टांगे गए थे, उनका नाम दिसमस व गैस्तास था।
74. विश्व प्रसिद्ध फ्ऱैंच दार्शनिक, लेखक व इतिहासकार वॉल्टेयर (जिनका वास्तविक नाम फ्ऱैन्कोएस मारी एरूएट था और वह 21 नवम्बर, 1694 को पैदा हुए थे व उनका निधन 30 मई, 1778 को हुआ था।) अपनी हाज़िर-जवाबी के कारण बहुत लोकप्रिय रहे। वास्तव में वह एक नास्तिक थे और उन्होंने धमकी दी थी कि वह ‘‘पवित्र बाईबल को इस पृथ्वी से सदा के लिए समाप्त करके रहेंगे।’’ जिस घर में वॉल्टेयर का जन्म हुआ था, उनके निधन के पश्चात् वह घर ‘बाईबल सोसायटी’ ने ख़रीद लिया और आज भी वहां पर सोसायटी का एक केन्द्र है, जहां पर पवित्र बाईबल की प्रतियों की बिक्री सब से अधिक होती है।
75. केरल के पादरी पॉल सिनिराज के अनुसार शब्द ‘ईस्टर’ (उस दिन को कहा जाता है, जिस (तीसरे) दिन हमारे उद्धारकर्ता प्रभु यीशु मसीह मुर्दों में से जी उठे थे) प्राचीन एंग्लो-सैक्सन देवी ‘ईऑस्टर’ के नाम से लिया गया है। प्राचीन समयों में अर्थात कई हज़ारों वर्ष पूर्व से यह माना जाता रहा है कि यह देवी प्रत्येक वर्ष 21 मार्च से प्रारंभ होने वाली ‘मीन’ राशि को शासित करती है।
क्रमशः
-- -- मेहताब-उद-दीन -- [MEHTAB-UD-DIN]
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