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पवित्र ‘बाईबल’ के कुछ महत्त्वपूर्ण तथ्य (46-60)



46. पवित्र बाईबल की पुस्तक ‘1 राजा’ के 10वें अध्याय की 29वीं आयत में वर्णन है कि एक रथ मिसर से चान्दी के 600 शैकल्स में आयात (दरामद) किया गया था। उन दिनों में एक औसत कर्मचारी का चार दिनों का वेतन एक शैकल हुआ करता था। और यदि हम उसी हिसाब से आज की करेन्सी में गणना करें, तो यह कीमत लगभग 50 लाख रुपए या 77,000 अमेरिकन डॉलर बनती है।


47. हमारी पृथ्वी पर अब तक सब से अधिक आयु मतूशेलह नामक एक धर्मी व्यक्ति की 969 वर्ष थी, जो यहोवा के निर्देशानुसार चला करता था। पवित्र बाईबल की पहली पुस्तक ‘उत्पत्ति’ के 5वें अध्याय की 27वीं आयत में उसकी आयु का रेकार्ड दर्ज है।


48. वैसे तो संपूर्ण पवित्र बाईबल ही प्रत्येक मन को शांति व संतोष देती है परन्तु यदि कभी किसी के मन में अधिक बेचैनी हो, तो भजन संहिता का 23वां अध्याय (जिसे ज़बूर 23 भी कहा जाता है) तथा ‘यूहन्ना’ की इंजील का 14वां अध्याय अत्यधिक मानसिक तसल्ली देने वाले माने जाते हैं।


49. पवित्र बाईबल के नए नियम में दर्ज ‘1 कुरिन्थियों’ के 13वें अध्याय को प्रेम व प्यार का अध्याय कहा जाता है, जिसमें प्रेम को सर्वोपरि अर्थात सब से बड़ा बताया गया है।


50. पवित्र बाईबल के नए नियम में दर्ज ‘इब्रानियों’ की पत्री के 11वें अध्याय को ‘विश्वास का अध्याय’ कहा जाता है, क्योंकि इसमें विश्वास की महानता की व्याख्या उदाहरणों सहित की गई है।


51. पवित्र बाईबल की पुस्तक ‘2 राजा’ का अध्याय 19 तथा ‘यशायाह’ पुस्तक का अध्याय 37 एक जैसे हैं।


52. वैसे तो पवित्र बाईबल का एक-एक शब्द विश्वासियों के लिए बेशकीमती मोतियों के समान है परन्तु नए नियम की पुस्तक ‘यूहन्ना’ के तीसरे अध्याय की 16 आयत को विश्व के अधिकतर मसीही समुदाय ‘सब से अधिक कीमती’ मानते हैं। वह आयत कुछ यूँ है - ‘‘क्योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उस ने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे, वह नाश न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए।’’


53. ‘मरकुस’ की इंजील के 15वें अध्याय की 34वीं आयत को सब से उदास कर देने वाली आयत माना गया है, जो कुछ यूँ है - ‘‘तीसरे पहर यीशु ने बड़े शब्द से पुकार कर कहा, इलोई, इलोई, लमा शबकतनी - जिसका अर्थ यह है; हे मेरे परमेश्वर, हे मेरे परमेश्वर, तूने मुझे क्यों छोड़ दिया?’’


54. वैसे तो पवित्र बाईबल का एक-एक शब्द भव्य है परन्तु विश्व के अधिकतर भागों में नए नियम में ‘रोमियों’ की पत्री के 8वें अध्याय की 11वीं आयत को सब से ‘‘भव्य’’ (ग्रैण्डैस्ट) माना जाता है, जो कुछ यूं है - ‘‘और यदि उसी का आत्मा जिस ने यीशु को मरे हुओं में से जिलाया तुम में बसा हुआ है; तो जिस ने मसीह को मरे हुओं में से जिलाया, वह तुम्हारी मरनहार देहों को भी अपने आत्मा के द्वारा जो तुम में बसा हुआ है, जिलाएगा।’’


55. पवित्र बाईबल में ‘गिनती’ की पुस्तक के 11वें अध्याय की 5वीं आयत को ‘उद्यान’ (गार्डन) आयत माना गया है, जो कुछ यूं है - ‘‘हमें वे मछलियां स्मरण हैं, जो हम मिस्र में सेंतमेंत खाया करते थे, और वे खीरे और खरबूज़े और गन्दने, और प्याज़ और लहसुन भी।’’


56. पवित्र बाईबल के पुराने नियम की पुस्तक के 22वें अध्याय की 19वीं आयत को ‘धातु’ (मैटल) आयत माना गया है, जो कुछ यूं है - ‘‘इस कारण प्रभु यहोवा उन से यों कहता है, इसलिए किए तुम सब के सब धातु के मैल के समान बन गए हो, देखो, मैं तुम के यरूशलेम के भीतर इकट्ठा करने पर हूँ।’’


57. पवित्र बाईबल (अंग्रेज़ी) में शब्द ‘गौड’ 4,370 बार, ‘जेहोवा’ 6,855 बार तथा शब्द ‘लॉर्ड’ 7,736 बार आया है।


58. अंग्रेज़ी भाषा में पवित्र बाईबल पहली बार एक पुस्तक रूप में 1380 ई. में प्रकाशित हुई थी। हिन्दी भाषा में पहली बार बाईबल की पहली पुस्तक ‘उत्पत्ति’ के कुछ भाग ही 1745 में प्रकाशित हुए थे। यह अनुवाद एक जर्मन मिशनरी बैंजामिन शुल्ज़ (1689-1760) ने किया था। उन्होंने 1726 में भारत में एक मसीही ‘डैनिस मिशन’ भी स्थापित की थी। पंजाबी बाईबल पहली बार 1811 में विलियम केरी ने अनुवाद करके प्रकाशित करवाई थी तथा उर्दू बाईबल पहली बार 1843 में प्रकाशित हुई थी। वैसे बैंजामिन शुल्ज़ 1745 में ही पवित्र बाईबल का नया नियम उदू भाषा में अनुवाद करके प्रकाशित करवा चुके थे।


59. अंग्रेज़ी शब्द ‘रैवरेण्ड’ पवित्र बाईबल में केवल एक बार ‘भजन संहिता’ के 111वें अध्याय की 9वीं आयत में आया है। इसका अर्थ ‘आदरणीय’ है और इस शब्द को अब सम्मान सहित पादरी के नाम के आगे लगाया जाता है।


60. पवित्र बाईबल में बहुत से स्थानों पर दास प्रथा (ग़ुलाम रखना) का वर्णन है और कुछ अत्याचयारी किस्म के लोग बाईबल का हवाला देते हुए ग़रीब लोगों को सदियों तक अपने पास गु़लाम के तौर पर रखते रहे। परन्तु नोबल पुरुस्कार विजेता डैस्मण्ड टुटु ने कहा था कि पवित्र बाईबल वास्तव में एक पुस्तक नहीं, बल्कि एक लाइब्रेरी अर्थात कई पुस्तकों का संग्रह है इस लिए इसे उसी संदर्भ में पढ़ा जाना चाहिए। बाईबल को ठीक ढंग से समझने के लिए आपको विभिन्न काल-खण्डों की जानकारी होनी चाहिए और संदर्भ मालूम होना चाहिए।


क्रमशः


Mehtab-Ud-Din


-- -- मेहताब-उद-दीन

-- [MEHTAB-UD-DIN]



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