चार वेद, रामायण व कालीदास के कुमार संभव का अंग्रेज़ी अनुवाद करने वाले राल्फ़ थॉमस हौचकिन ग्रिफ़िथ
भारत को बहुत पसन्द करते थे राल्फ़ थॉमस हौचकिन ग्रिफ़िथ
राल्फ़ थॉमस हौचकिन ग्रिफ़िथ भारत के बारे में और अधिक जानने के बहुत इच्छुक थे। वह इण्डियन ऐजूकेशन सर्विस (भारतीय शिक्षा सेवा) के सदस्य थे। श्री हौपकिन उन पहले यूरोपियन्स में से एक थे, जिन्होंने भारत के चार वेदों (ऋग वेद, साम वेद, यजुर वेद, अथर्व वेद) का अंग्रेज़ी भाषा में अनुवाद किया था। उनका अधिकतर समय इंग्लैण्ड के ऑक्सफ़ोर्ड तथा भारत के बनारस व नीलगीरि में रहे थे।
प्रोफ़ैसर भी रहे थे राल्फ़ थॉमस हौचकिन ग्रिफ़िथ
श्री ग्रिफिथ का जन्म 25 मई, 1826 ई. को कौर्सले, विल्टशाइर (इंग्लैण्ड) में हुआ था। उनके पिता आर.सी. ग्रिफिथ एक पादरी थे। श्री ग्रिफ़िथ ने उच्च शिक्षा क्वीन’ज़ कॉलेज से प्राप्त की थी तथा वह 24 नवम्बर, 1849 को संस्कृत भाषा के बोडन प्रोफ़ैसर नियुक्त हुए थे। उन्होंने अंग्रेज़ी भाषा में वैदिक साहित्य को अनुवाद किया था। इसके अतिरिक्त उन्होंने रामायण के काव्य भाग तथा कालीदास के कुमार संभव को भी अनुवाद किया था।
नीलगीरि के पहाड़ी स्थल कोटागिरी में किए थे राल्फ़ थॉमस हौचकिन ग्रिफ़िथ ने वेदों के अनुवाद
श्री ग्रिफ़िथ ने सभी वेदों के अनुवाद नीलगीरि (तामिल नाडू) के सुन्दर पहाड़ी स्थल कोटागिरी में किए थे। नीलगीरि एक बहुत ही सुन्दर पहाड़ी स्थल है। श्री ग्रिफ़िथ यहां पर अपने इन्जिनियर भाई फ्ऱैंक के साथ रहा करते थे।
7 नवम्बर, 1906 को श्री ग्रिफिथ का देहात हो गया था, उनकी कब्र कोटागिरी में ही है।
-- -- मेहताब-उद-दीन -- [MEHTAB-UD-DIN]
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