हिन्दी व्याकरण लिख कर चर्चित हुए डॉ. सैमुएल हैनरी केलॉग व भारतीय सन्थाली भाषा की पहली वर्णमाला व व्याकरण तैयार करने वाले पॉल ओलाफ़ बोडिंग
डॉ. सैमुएल हैनरी केलॉग (1839-1899) भारत में स्थानीय भाषाओं के लिए काम करने वाले एक अमेरिकन प्रैसबाईटीरियन मसीही मिशनरी थे, जिन्होंने पवित्र बाईबल के हिन्दी अनुवाद में कुछ संशोधन करने व उसे पुनः अनुवादित करने के महत्त्वपूर्ण कार्य किए। अनुवाद के इस कार्य में उनका साथ विलियम हूपर एवं जोसेफ़ आर्थर लैम्बर्ट ने किया था। उन्होंने 1870 से लेकर 1910 तक अमेरिका के मसीही धार्मिक क्षेत्र में वर्णनीय योगदान दिया।
डॉ. केलॉग को विशेषतया उनकी ‘हिन्दी व्याकरण’ के लिए याद किया जाता है। यह पुस्तक हिन्दी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग (अलाहाबाद) द्वारा प्रकाशित की गई थी। इसका शुमार हिन्दी व्याकरण की श्रेष्ठ पुस्तकों में आता है। यह ऐसे लोगों के लिए महत्त्वपूर्ण है, हिन्दी जिनकी पहली भाषा नहीं है।
भाषा-विज्ञानी पॉल ओलाफ़ बोडिंग
श्री पॉल ओलाफ़ बोडिंग (जन्म नॉर्वे के नगर गजोविक में 2 नवम्बर, 1865-मृत्यु डैनमार्क के नगर ओडैंस में 25 सितम्बर, 1938) नार्वे के एक मसीही मिशनरी, भाषा-विज्ञानी एवं लोक-साहित्य संकलनकर्ता थे। वे भारत में 1889 से लेकर 1933 तक अर्थात 44 वर्ष तक सक्रिय रहे। वह अधिकतर सन्थाल परगना ज़िले के नगर दुमका (वर्तमान झारखण्ड) में रहे। उन्होंने सन्थाली भाषा की पहली वर्णमाला (अक्षर) व व्याकरण तैयार किए थे। 1914 में उन्होंने पवित्र बार्इ्रबल का सन्थाली भाषा में अनुवाद संपन्न किया था। उन्हें आज भी झारखण्ड, बिहार एवं असम के साथ-साथ बंगलादेश एवं स्कैण्डेनेवियन देशों में भी याद किया जाता है।
श्री पॉल बोडिंग ने युनिवर्सिटी ऑफ़ ओसला से धर्म-विज्ञान की शिक्षा ग्रहण की थी। उनके पिता एक पुस्तक-विक्रेता थे। उन्होंने ‘इण्डियन होम मिशन टू दि संथास’ की स्थापना की थी, जो बाद में एन.ई.एल.सी. बन गई। उनका स्मारक नॉर्वे के गजोविक स्थित चर्च के सामने स्थित है।
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