लार्स ओल्सन स्करेफ़्सरड ने पूर्वी भारत में किया भाषा खोज-कार्य
भारत में स्थापित किया ‘नॉर्दरन इवैन्जलीकल लूथरन चर्च’
लार्स ओल्सन स्करेफ़्सरड (4 फ़रवरी, 1840-11 दिसम्बर, 1910) नार्वे के मिशनरी थे, जो भारत में भाषा-खोजकार के तौर पर भी जाने जाते हैं। उन्होंने श्री हैन्स पीटर बोरेसेन के साथ मिल कर नार्वे की मसीही मिशनरी संस्था ‘सैंन्टलमिसजोनेन’ की स्थापना की थी और जिसे वर्ष 2001 से ‘नॉमिस्जोन’ के नाम से जाना जाता है। भाषा-विद्वान पॉल ओलाफ़ बोडिंग उनके बाद भारत आए थे। श्री लार्स ओल्सन ने अपनी प्राथमिक शिक्षा जर्मनी के नगर बर्लिन स्थित जोहानेस ईवैन्जलिस्टा गोब्नर नामक मिशन स्कूल से ग्रहण की थी और वहीं से उन्होंने अपने मिशनरी कार्यों का पूर्ण प्रशिक्षण लिया था। उनका परिवार पहले से मसीही नहीं था। अभी जब वे युवावस्था में ही थे, तो उन्हें तीन वर्षों के लिए जेल जाना पड़ा था और उसी दौरान वह मसीही बने थे और फिर उन्होंने बाईबल व भाषाओं का ज्ञान प्राप्त करना प्रारंभ किया थे और फिर शीघ्र ही वह नार्वे के प्रमुख भाषा-विद्वानों में शुमार होने लगे।
भारत में जो अपनी मिशन उन्होंने स्थापित की थी, उसके स्वतंत्र संस्थान ‘नॉर्दरन इवैन्जलीकल लूथरन चर्च’ से आज झारखण्ड, बिहार, पश्चिमी बंगाल एवं असम में डेढ़ लाख से भी अधिक मसीही श्रद्धालू जुड़े हुए हैं।
-- -- मेहताब-उद-दीन -- [MEHTAB-UD-DIN]
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